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रामनवमी की रात आकाश के पश्चिमी क्षितिज पर हुए शुक्र ग्रह के दर्शन
डिजिटल डेस्क सतना। जिला मुख्यालय समेत समूचे जिले में कौतुहल का विषय रहा। आमधारणा रही कि लॉकडाउन के कारण वायु प्रदूषण में अप्रत्याशित गिरावट के कारण सांझ का तारा यानि शुक्र अपेक्षाकृत अधिक प्रखर होकर उदित है। मगर, क्या ये कोई खगोलीय घटना है? इस सवाल के जवाब में अर्थस्कॉई डॉट ओआरजी ने कई अहम जानकारियां दीं।
8 वर्ष में ऐसा एक बार
ब्यौरे के मुताबिक शुक्र हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म और सबसे चमकीला तारा है। क्रम में सूर्य से बुध के बाद इसका दूसरा नंबर है और ये अपक्षेाकृत पृथ्वी के सबसे नजदीक का ग्रह है। अप्रैल माह में यह सूर्यास्त के बाद पश्चिमी आकाश में शक्तिशाली रुप से चमकने वाला अकेला ग्रह है। हाल ही में सूर्य से शुक्र सबसे बढ़ाव 46डिग्री तक पहुंच गया है। लगभग एक हफ्ते बाद इसका कृतिका तारा समूह के साथ संयोजन हुआ। यह भी हैरतंगेज है कि आकाश में शुक्र कितनी ऊंचाई और सूर्यास्त के बाद कितनी देर तक दिखाई देता है। वस्तुत: दुनिया भर में उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलाद्र्ध में शुक्र के चमकने का कारण् वसंत विषुव और बड़े बढ़ाव के एक साथ होना है । शुक्र यंू तो हर 8 साल में 5 बार सबसे बडे बढ़ाव तक पहुंचता है लेकिन वसंत विषुव के साथ सबसे बड़े बढ़ाव का यह अनुकूल अभिसरण केवल 8 वर्षों के चक्रों में होता है। पूरे अप्रैल में शुक्र का कोणीय व्यास 150 प्रतिशत बढ़ जाता है और इसकी डिस्क का आकार दो गुने से अधिक हो जाता है। यही वजह है कि आकाश के पश्चिमी क्षितिज पर चमकीले शुक्र का दर्शन हर किसी को कौतूहल से भर रहा है।
Created On :   3 April 2020 6:22 PM IST