MP : रामसर कन्वेंशन का अब प्रदेश में पालन किया जाएगा

Ramsar Convention will now be followed in Madhya Pradesh
MP : रामसर कन्वेंशन का अब प्रदेश में पालन किया जाएगा
MP : रामसर कन्वेंशन का अब प्रदेश में पालन किया जाएगा

डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्य प्रदेश में अब रामसर कन्वेंशन का पालन होगा। यह कन्वेंशन 46 साल पहले वर्ष 1971 में ईरान देश के रामसर में हुआ था तथा विश्व समुदाय ने प्राकृतिक जलस्रोतों के संरक्षण के लिए एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे। इस पर अमल की शुरुआत वर्ष 2010 में करते हुए भारत सरकार ने 4 दिसंबर 2010 को आद्रभूमि (वेटलैण्ड) संरक्षण और प्रबंधन नियम जारी किए थे।

चूंकि जल एवं भूमि राज्य सरकार का विषय है इसलिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 के नियम निरस्त कर अब नए नियम बना दिए हैं जिसके तहत वेटलैंड उसे माना गया है जो ईरान देश के रामसर में वर्ष 1971 में आयोजित कन्वेंशन में परिभाषित किए गए थे तथा यह वेटलैंड प्राकृतिक या कृत्रिम, स्थाई या अस्थाई, जल जो ठहरा है या बहते, ताजे, खारे या लावणी जिसके अंतर्गत समुद्री जल का जिसकी गहराई ज्वार की स्थिति में छह मीटर से अधिक की न हो अभिप्रेत होगा, लेकिनन इसमें नदी जल मार्ग, धान के खेत, पेयजल प्रयोजनार्थ विशिष्ट रुप से मानव निर्मित जल निकाय/जलाशय, मत्स्यपालन, नमक उत्पादन और सिंचाई प्रयोजनों के लिए विशिष्ट रुप से निर्मित संरचनाएं शामिल नहीं हैं।

वेटलैंड घोषित करने हेतु भारत सरकार ने मप्र सरकार से ऐसे जलस्रोत चिन्हित करने के लिए कहा है। राज्य सरकार ने 500 हैक्टेयर से अधिक के ऐसी 113 जलाशय चिन्हित किए हैं, लेकिन उसमें से मात्र 54 जलाशयों की ही विस्तृत जानकारी जल संसाधन के भोपाल स्थित मुख्यालय को भेजी गई है जो कि निर्धारित बिन्दुओं पर नहीं है। इसलिए अब फिर से जल संसाधन के सभी कमांड एरियों को सभी 113 वेटलैंड जलाशयों की जानकारी निर्धारित फार्मेट और बिन्दुओं पर भेजने के लिए कहा है।

यह नहीं हो सकेगा वेटलैंड में 

प्रदेश के जिन जलाशयों को वेटलैंड घोषित किया जाएगा उनमें जलीय जीवों का शिकार नहीं हो सकेगा और न ही उस पर अतिक्रमण ही हो सकेगा। ऐसे वेटलैंड के पास न ही उद्योगों की स्थापना हो सकेगी और न ही पहले से विद्यमान उद्योगों का विस्तार हो सकेगा। इसके अलावा इन जलाशयों में उद्योग, बस्तियों  आदि का आने वाला प्रदूषित पानी भी नहीं आ सकेगा तथा उसके उपचार हेतु संयंत्र लगाने होंगे। सभी वेटलैंड के संरक्षण एवं प्रबंधन हेतु राज्य के पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में स्टेट वेटलैंड अथारिटी का भी गठन किया जाएगा।

होशंगाबाद जल संसाधन मुख्य अभियंता बीएस धुर्वे का कहना है कि मुख्यालय से वेटलैंड की जानकारी मांगी है तथा इसकी नए सिरे से जानकारी भेजी जा रही है। वेटलैंड पर मुख्य रुप से अतिक्रमण नहीं हो सकेगा।

 

Created On :   26 Dec 2017 6:15 AM GMT

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