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'समाज में बढ़ रही असमानता को दूर करने शिक्षाविदों को करना होगा प्रयास'
डिजिटल डेस्क अमरकंटक । समाज में आज जो आर्थिक, सामाजिक और लिंग के आधार पर बढ़ रही असमानता दिखाई दे रही है उसे दूर करने के लिए शिक्षाविदों को शोध के रूप में प्रयास करने होंगे । समाज विज्ञान के विभिन्न विषयों में शोध कर रहे शोधार्थियों को समाज के विभिन्न स्तर पर पैदा हो रहे अंतर को कम करने की दिशा में कार्य करना होगा। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को सही वर्ग तक पहुंचाने और इसका असर ज्ञात करने के लिए भी विभिन्न प्रकार की शोध प्रविधियों को विकसित करने की आवश्यकता है।
इस आशय के विचार इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टी.वी. कट्टीमनी ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ दलित स्टडीज और आईजीएनटीयू के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय शोध प्रविधि पर राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने समाज के विभिन्न वंचित वर्गों का उल्लेख करते हुए कहा कि आर्थिक, सामाजिक और लिंग के आधार पर विभिन्न वर्गों में असमानता बढ़ती जा रही है। इसे कम करने के उपाय पर शिक्षाविदों के साथ शोधार्थियों को कार्य करना होगा। आईआईडीएस निदेशक प्रो. संघमित्र एस.आचार्य ने सामाजिक मुद्दों पर शोधार्थियों के मध्य और अधिक जागरूकता बढ़ाने पर जोर देते हुए इस दिशा में दोनों शिक्षण संस्थाओं के बीच और अधिक संयुक्त प्रयास करने को कहा। जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर असलम महमूद ने शिक्षकों से छात्र केंद्रित योजनाओं को क्रियान्वित करने को कहा।सामाजिक अंतर को कम करने की दिशा में शोध करना उपयोगी है । यह बात आईजीएनटीयू में चार दिवसीय कार्यशाला का समापन करते हए वक्ताओं ने कही । परीक्षा नियंत्रक प्रो. बसवराज पी. डूनर ने शोधार्थियों से लंबे समय तक सघन शोध करने के बाद ही उचित परिणाम की उम्मीद करने का आह्वान किया। निदेशक अकादमिक प्रो. आलोक श्रोत्रिय ने समाज विज्ञान के शोधार्थियों को स्थानीय भाषाओं के ज्ञान के माध्यम से अपने शोध को और अधिक उत्कृष्ट बनाने का मार्गदर्शन दिया।
Created On :   29 Sept 2017 12:54 PM IST