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अधोसंरचना मद में बिना अनुमोदन खर्च हुए 18.5 करोड़, गोलमाल की होगी जांच
डिजिटल डेस्क सीधी। जिला पंचायत अधोसंरचना मद में बिना अनुमोदन के ही साढ़े 18 करोड़ की राशि व्यय कर दी गई है। सीईओ द्वारा जांच समिति गठित करने के बाद लंबे समय से गुम रही फाइल मिली तो पता चला कि बिना अनुमोदन के ही लंबा वारा-न्यारा कर दिया गया है। मामले की समिति द्वारा जांच शुरू कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि 13वें, 14वें वित्त यानि अधोसंरचना मद में राशि न होने के बाद भी करोड़ों के निर्माण कार्य स्वीकृत कर दिये गये हैं। एकल बजट के योजनाओं की राशि अधोसंरचना मद में खर्च की गई है।
कमीशन के लिए की गई गड़बड़ी
आरोप है कि कमीशन के चक्कर में न तो जिला पंचायत से अनुमोदन कराया गया और न ही नियम कायदों की परवाह की गई है। इसके पहले जब तक फाइल गुमी रही तब तक अनुमान लगाया जा रहा था कि 12 करोड़ के कार्य बिना अनुमोदन के स्वीकृत हुये हैं किंतु जब जिला पंचायत सीईओ अवि प्रसाद द्वारा जांच समिति गठित की गई तो फाइल के सामने आते ही मामला साढ़े 18 करोड़ के करीब पहुंच गया। बताया जाता है कि जिन निर्माण कार्यों को स्वीकृति जारी की गई है उसमें 11 करोड़ के कार्यों में तत्कालीन सीईओ दिलीप मण्डावी के हस्ताक्षर हैं तो 7 करोड़ के कार्यों में प्रभारी सीईओ डीपी वर्मन के हस्ताक्षर बताये जा रहे हैं। जिस मद से निर्माण कार्यों की स्वीकृति जारी की गई है उस शाखा के प्रभारी अधिकारी डीपी वर्मन के कहीं भी हस्ताक्षर नही हैं।
प्रभारी की अनदेखी कर सीईओ को भेजीं फाइलें
नियमानुसार प्रभारी अधिकारी के मार्फत ही स्वीकृति संबंधी फाइल सीईओ के पास पहुंचनी चाहिए थी लेकिन लिपिकों ने अपने हिसाब से स्वीकृत करा दी है। बाद में पहली किश्त भी जारी की गई लेकिन इसके बाद कोई राशि नहीं जारी हुई है। अधोसंरचना मद की फाइल में न तो सामान्य सभा और न ही सामान्य प्रशासन समिति का अनुमोदन है बल्कि फाइल के अंत में जिला पंचायत अध्यक्ष के हस्ताक्षर करा लिये गये हैं। कुल मिलाकर बिना बजट वाली योजना में 18 करोड़ से ऊपर की राशि के कार्य जारी तो हुये ही इसके अलावा अनुमोदन की भी जरूरत नही समझी गई। लंबे समय से गुम हुई फाइल यदि वर्तमान सीईओ के फटकार बाद सामने न आती तो मामले का पूरी तरह से खुलासा भी न हो पाता। फिलहाल सीईओ द्वारा गठित जांच समिति ने अनियमितता संबंधी जांच शुरू कर दी है।
दूसरे विभाग के अफसरों से जांच कराने की मांग
अधोसंरचना मद और सदस्यों की निधि में हुई करोड़ों की अनियमितता सामने आने पर नवागत सीईओ ने जांच समिति का गठन कर जांच तो शुरू करा दी है किंतु कई सदस्यों को जांच प्रभावित होने का संदेह दिख रहा है। कारण यह कि समिति में जिन सदस्यों को शामिल किया गया है उसमें एसीईओ के साथ सभी सदस्य जिला पंचायत के ही अधिकारी हैं। इसीलिये माना जा रहा है कि आरोपी लिपिक और संबंधित अधिकारी को बचाने का काम किया जा सकता है। जिला पंचायत के बाहर के अधिकारी अगर जांच करेंगे तो करोड़ों के मामले की सच्चाई बिना किसी प्रभाव के सामने आ जायेगी। साढ़े 18 करोड़ का मामला सामने तब आया है जब लंबे समय से गुम हुई फाइल सीईओ के फटकार बाद पेश की गई है। इसके पहले तक किसी भी अधिकारी, कर्मचारी के जानकारी में स्वीकृति संबंधी फाइल नही रही है।
इनका कहना है
जिला पंचायत में अधोसंरचना मद में करोड़ों के कार्य बिना बजट के ही स्वीकृत कर दिये गये हैं। इनका नियमानुसार अनुमोदन भी नहीं कराया गया है। पिछले तीन सालों में यह अपनी तरह का पहला मामला है, जब कर्मचारियों ने अपने फायदे के चक्कर में नियम-कायदे की परवाह नही की है। सीईओ अगर अपनी देखरेख में जांच करायेंगे तभी सच्चाई सामने आ जाएगी और दोषी दण्डित होगें।
राजमणि साहू, उपाध्यक्ष, जिपं सीधी।
Created On :   26 May 2018 1:35 PM IST