उन्नत बीज उत्पादन के नाम पर करोड़ों का गोलमाल, बीज इंस्पेक्टर की मिलीभगत से चल रहा खेल

Scam of crores on the name of advanced seed production in Chhatarpur
उन्नत बीज उत्पादन के नाम पर करोड़ों का गोलमाल, बीज इंस्पेक्टर की मिलीभगत से चल रहा खेल
उन्नत बीज उत्पादन के नाम पर करोड़ों का गोलमाल, बीज इंस्पेक्टर की मिलीभगत से चल रहा खेल

डिजिटल डेस्क छतरपुर। जिले में कार्यरत सहकारी बीज उत्पादन समितियां द्वारा उन्नत बीज के नाम पर जमकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। किसानों के नाम पर बीज का फर्जी उत्पादन सिर्फ कागजों में ही किया जा रहा है। इनमें ज्यादातर किसानों को यह तक पता नहीं है कि वे उन्नत किस्म के बीजों का उत्पादन कर रहे हैं। जबकि इन कथित किसानों के नाम से तैयार किया गया बीज अब सहकारी समितियों और बाजार में बिक्री के लिए पहुंचाने की पूरी तैयारी कर ली है। यह पूरा फर्जीवाड़ा बीज इंस्पेक्टर की मिलीभगत से चल रहा है इस तरह का फर्जीवाड़ा विगत कई वर्षों से चल रहा है।

सरकारी कर्मचारियों ,सहकारिता नेताओं नेे बनाई समितियां
बीज उत्पादन के कारोबार में अच्छी खासी कमाई को देखते हुए इस कारोबार में कुछ सहकारी कर्मचारियों ने अपने परिजनों के नाम पर बीज उत्पादन समितियों का गठन कर इस कारोबार में जमकर खेल कर रहे हैं। इसके अलावा इस कारोबार में कई उद्योगपति भी कूद गए हैं। जिसके चलते अब यह कारोबार इन दिनों काफी चर्चा में है।

किसानों के नाम पर किसानों से  हो रही ठगी
इस फर्जीवाड़े की सबसे मजेदार बात यह है कि यह पूरा बीज उत्पादन का काम मूल रूप से किसानों का ही है। इसका पूरा लाभ भी किसानों को मिलना चाहिए लेकिन यह कारोबार में केवल किसानों का नाम फर्जीवाड़े के लिए किया जा रहा है और फर्जीवाड़े से तैयार किया गया घटिया बीज किसानों को ही दोगुने दामों पर बेच दिया जाता है। जिसका खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ता है।

कैसे कागजों पर ही बनाया जाता है बीज
सहकारी बीज उत्पादन समितियां जिले के विभिन्न क्षेत्रों के अपने परिचित किसानों के नाम का इंटरनेट से राजस्व रिकार्ड निकाल कर बीज प्रमाणीकरण संस्था की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। इसके लिये बकायदा विभाग द्वारा फीस भी ली जाती है। इसके बाद जिले में नियुक्त बीज निरीक्षक द्वारा उक्त किसानों औऱ बोई गई फसल का सत्यापन भी किया जाता। लेकिन यह पूरी प्रक्रिया केवल कागजों पर ही चलती है। इस बीच का न तो बीज इंस्पेक्टर कथित किसानों के खेत पर जाता है और न किसानों से मिलता है लेकिन इस दौरान कागजी खानापूर्ति नहीं रुकती है।

बीज इंस्पेक्टर अपने घर से पूरा जिले का निरीक्षण कर देते हैं और फसल की कटाई के समय समितियों के संचालकों से सांठगांठ कर मनमानी अनुमानित उपज भी कागजों में दर्शा देते हैं। इसके बाद तथाकथित किसानों के नाम से उक्त फसल की खरीद भी कागजों पर ही कर ली जाती है। कागजों पर की गई खऱीदी का भुगतान भी चेक के माध्यम से दिखाया जाता है। औऱ फर्जी सेम्पल समिति के संचालकों से घर पर ही मंगवा कर जांच के लिए भेज दिए जाते हैं। सबसे मजेदार बात तो यह है कि इस फर्जी खरीद में कथित किसानों के नाम से दर्शाया गया। चेक का भुगतान भी नहीं होता है। कथित किसानों के नाम से उत्पादित फसल की पैकिंग के लिये बीज इंस्पेक्टर द्वारा टेग भी जारी कर दिए जाते हैं और पैकिंग भी हो जाती है और पैक की गई फसल विभिन्न सरकारी और सहकारी संस्थाओं के द्वारा विक्रय भी कर दी जाती है और एक मुश्त रकम समितियों को प्रदान की जाती है।

 

Created On :   8 Nov 2018 8:08 AM GMT

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