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छात्रवृत्ति घोटाला - ऑडिट रिपोर्ट के बाद मचा हड़कंप , दो बाबुओं और परिजनों के खाते में ट्रांसफर हुई सवा करोड़ की राशि
डिजिटल डेस्क रीवा । अनुसूचित जाति कल्याण विभाग (अजाक) में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में विभाग के कर्मचारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है। कर्मचारियों के माध्यम से करीब 2.10 करोड़ का गबन का मामला आडिट रिपोर्ट में आया है। जिसके बाद हड़कंप मचा हुआ है। वहीं एक और खुलासा हुआ है। ऑडिट रिपोर्ट में दो बाबुओं के नाम दिए गए हैं। जिन्होंने अपने व परिजनों के खाते में करीब सवा करोड़ की राशि ट्रांसफर की है। जो सीधे तौर पर जांच अधिकारियों की राडार पर हैं। ऑडिट रिपोर्ट में सहायक ग्रेड-3 रामनरेश पटेल के नाम का जिक्र है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रामनरेश पटेल, उनकी पत्नी सुमन सिंह, पुत्री सीमा कौशिक, पुत्र उदित सिंह और नीलेश कौशिक के नाम पर करीब 85.64 लाख की राशि ट्रांसफर की गई। मामला यहीं नहीं रूका है। बल्कि रिपोर्ट में संतोष कुमार पटेल का जिक्र है, जो रामनरेश पटेल के भाई हैं। इनके खाते में भी 2.37 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। इसी तरह क्लर्क रामसुफल पटेल का भी जिक्र है। उनके व परिजनों के नाम 21.13 लाख रुपए की राशि हस्तांतरिक की गई है। रिपोर्ट में रामसुफल पटेल की पत्नी मालती, पुत्र राजनीश पटेल, पुत्र अवनीश पटेेल के नाम राशि ट्रांसफर की गई है।
ऑडिट रिपोर्ट में 33 बैंक खातों को संदिग्ध माना गया है। जो 19 लोगों के बताए गए हैं। इनके नामों की सूची तक जारी की गई है। सूची पर उल्लेख नाम पर नजर डालें, तो आदित्य सिंह के 3 बैंक खाते, अनिल कुमार पटेल 1 खाते, अनिल शर्मा 2 खाते, अवनिश कुमार पटेल के 2 खाते, मालती पटेल के 1 खाते, मनोज कुमार पटेल के 1 खाते, नीलेश कौशिक 3 खाते, प्रशांत कुमार पटेल के 2 खाते, प्रीत कुमार पटेल के 1 खाते, राहुल पटेल 1 खाते, रजनीश पटेल 1 खाते, रामनरेश पटेल के 4 खाते, रामसुफल पटेल के 1 खाते, संध्या पटेल के 1 खाते, संतोष कुमार पटेल के 1 खाते, सीमा कौशिक 1 खाते, सुमन सिंह 4 खाते, श्वेता कौशिक 2 खाते और उदित सिंह के 1 खाते को संदिग्ध माना गया है। इन्ही खातों में 2.10 करोड़ की राशि ट्रांसफर की गई है।
2006 से चल रहा था खेल
ऑडिट रिपोर्ट में तीन साल का जिक्र है। जबकि बताया जा रहा है कि ये खेल करीब 2006 से चल रहा है। इसमें विभाग के आधा दर्जन कर्मचारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है। बताया जा रहा है कि अगर, एक दशक पूर्व के रिकार्डों की जांच की जाए, तो घोटाले का दायरा बढ़ जाएगा और कई अधिकारी व कर्मचारी की गर्दन फंस जाएगी।
तीन साल में पूरा खेल
शासन स्तर से विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति के लिए राशि जारी हुई थी। जिसे अजाक विभाग में बैठे कर्मचारियों ने अपने व रिश्तेदारों के खाते में टड्ड्रांसफर कर डाला। जो सीधे तौर पर गबन की श्रेणी में आता है। जिसका जिक्र ऑडिट रिपोर्ट में किया गया है और वसूली के लिए कहा गया है। जानकारी अनुसार, ऑडिट रिपोर्ट गत 10 दिसंबर 2020 को जारी की गई है। जो आदिम जाति विभाग को 17 दिसंबर को मिली। जिसके बाद विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। रिपोर्ट में साफ तौर पर 2,10,02,347 रुपए गबन का जिक्र किए जाने का उल्लेख था। ये गबन अप्रैल 2017 से मार्च 2020 के बीच हुआ है। ये राशि विद्यार्थियों या हितग्राहियों के लिए शासन स्तर से जारी हुई थी। जिसे उनके खाते में ही ट्रांसफर किया जाना था।
Created On :   31 Dec 2020 1:57 PM IST