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नहीं बटी सूखा राहत राशि, दो माह में सात किसानों ने की खुदकुशी
डिजिटल डेस्क छतरपुर/टीकमगढ़ । पांच साल से लगातार सूखा एवं प्राकृतिक प्रकोप का शिकार बुन्देलखंड के किसानों का मनोबल टूटता जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा किसानों की मदद के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सरकारी तंत्र इतना लापरवाह एवं निरंकुश हो चुका है कि बजट जो राहत बांटने आया है, वह बैंक खातों में कैद है और ढाई माह बाद भी किसानों तक नहीं पहुंच पाया है। छतरपुर एवं टीकमगढ़ के हालात एक जैसे हैं जहां लगभग 6 लाख किसान सूखे और बाद में ओलावृष्टि का दंश झेला है। दो रात के अंदर कर्ज एवं घरेलू परेशानियों में डूबे आधा दर्जन किसान मौत को गले लगा चुके हैं। सबसे अहम सवाल तो यह है कि बेलगाम हो चुका सरकारी तंत्र वातानुकूलित दफ्तरों से बाहर नहीं निकलना नहीं चाहता। सबेरन शून्यता की विशाल यह है कि अब तक मात्र 50 हजार किसानों को सूखा राहत मिल पाई है। सरकारी तंत्र की लापरवाही किसानों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। सरकारी खातों में कैद है राहत राज्य सरकार द्वारा छतरपुर जिले के सूखा प्रभावित ढाई लाख किसानों को 151 करोड़ एवं टीकमगढ़ जिले के साढ़े तीन लाख किसानों को 161 करोड़ सूखा राहत के रूप में मंजूर किए गए थे। यह राशि दोनों जिलों के सरकारी खातों में दिसंबर में आ गई थी। अभी तक छतरपुर जिले के मात्र 21 हजार किसानों को साढ़े अठारह करोड़ एवं टीकमगढ़ जिले के किसानों के खातों में मात्र साढ़े 43 करोड़ की राशि ही पहुंच पाई है। सीधा आंकड़ा यह है कि अभी तक 25 फीसदीराहत भी नहीं बंट पाई। सूखे के बाद ओले की मार छतरपुर एवं टीकमगढ़ जिले में ओले की मार फरवरी के पहले पखवाड़े में ही पड़ गई और ओले की तबाही से छतरपुर जिले के 87 गांव एवं टीकमगढ़ जिले के 119 गांवों के लाखों किसान बर्बाद हो गए। खाद-बीज के कर्ज में डूबे किसानों का ओला सर्वे भी स्थिर गति से चल रहा है। जब सूखा राहत ही नहीं बंट पाई तो ओला राहत की उम्मीद अभी करना ही असंभव दिख रहा है।
दो माह में सात किसानों की मौत
जनवरी से अभी तक छतरपुर एवं टीकमगढ़ जिले के छह किसानों ने जिंदगी से हारकर मौत को गले लगा लिया है। इसमें छतरपुर जिले के लवकुशनगर तहसील अंतर्गत गुढ़ाकला निवासी द्रगपाल सिंह ने 17 फरवरी को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वहीं 6 मार्च को रामकृपाल कुशवाहा 40 निवासी भड़ार गांव ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इसके पूर्व नौगांव तहसील अंतर्गत गर्रोली निवासी घंसूपाल ने ओलों में तबाही देख 13 फरवरी को खेत में ही कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली थी। सात मार्च को बक्स्वाहा तहसील अंतर्गत कुडज़नी रइयन गांव के पचास वर्षीय किसान इसराम बरेला ने आर्थिक तंगी के चलते फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। इसी तरह टीकमगढ़ जिले के दुर्गापुर निवासी छोटेलाल लोधी 60 वर्ष कर्ज के बोझ में परेशान होकर 3 जनवरी को घर में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, जबकि 11 जनवरी को जतारा के तरमोरा निवासी फूला यादव एवं 19 फरवरी को टीला गांव निवासी किसान कैलाश मिश्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
इनका कहना है
प्रदेश सरकार हर आपदा में किसानों के साथ खड़ी है। सूखा राहत की राशि वितरण में लापरवाही की शिकायत मिली है। एक सप्ताह के अंदर सूखा राहत राशि
किसानों के खातों में पहुंचाने निर्देश कर दिया गया है। मैंने इस संदर्भमें कलेक्टर से कल ही विस्तृत चर्चा की है।
ललिता यादव, राज्य मंत्री
पहले तहसील स्तर पर राहत राशि का भुगतान होता था, लेकिन इस बार कलेक्टर के डीडीओ खाते से जिले के किसानों राहत राशि जारी की जा रही है। तहसीलोंसे बिल पेश होते ही अविलंब भुगतान किया जाता है।
वंदना राजपूत राहत, कलेक्टर, टीकमगढ़
Created On :   9 March 2018 2:24 PM IST