अवर्षा का असर, अभी मात्र 12 फीसदी हुई बोनी, डेढ़ लाख हेक्टेयर से ज्यादा का है लक्ष्य

Sowing is in danger due to non happening of rain in the season
अवर्षा का असर, अभी मात्र 12 फीसदी हुई बोनी, डेढ़ लाख हेक्टेयर से ज्यादा का है लक्ष्य
अवर्षा का असर, अभी मात्र 12 फीसदी हुई बोनी, डेढ़ लाख हेक्टेयर से ज्यादा का है लक्ष्य

डिजिटल डेस्क, सीधी। अवर्षा का बोनी पर बुरा असर पड़ रहा है। जिले में 1 लाख 51 हजार 850 हेक्टेयर रकवे में बोनी का लक्ष्य रखा गया है, किंतु अभी तक में केवल 12 फीसदी ही बोनी हो सकी है। धान की बोनी तो काफी पीछे देखी जा रही है। रोपा लगाने की किसानों ने पूरी तैयारी कर रखी है पर बारिश के अभाव में कुछ भी नही कर पा रहे हैं। केवल मक्का, उड़द, मूंग, ज्वार, अरहर की बोनी हो पाई है।

जिला इस वर्ष भी सूखे के मुहाने पर पहुंच गया है। बीते वर्ष इस अवधि में 288.3 मिमी बारिश हुई थी, जिस कारण बोनी प्रभावित नही हो पाई थी। यह अलग बात है कि बाद में बारिश कमजोर होने के कारण उपज प्रभावित रही, किंतु बोनी पर असर नही पड़ा था। इस वर्ष अभी तक में 193 मिमी बारिश दर्ज हुई है। गोपद बनास तहसील क्षेत्र में बारिश ठीकठाक देखी जा रही है किंतु बाकी तहसील क्षेत्रों में काफी कमजोर स्थिति बनी हुई है। कमजोर बारिश के कारण बोनी का कार्य काफी पीछे चल रहा है।

18 हजार हेक्टेयर में हुई है बोनी
बता दें कि जिले में इस वर्ष 1 लाख 51 हजार 850 हेक्टेयर रकवे में बोनी का लक्ष्य रखा गया ,है किंतु अभी तक में केवल 18 हजार हेक्टेयर भूमि में बोनी हो सकी है। जहां बोनी हुई है वहां केवल सूखी फसलों की ही बोनी हो सकी है। मसलन, मक्का, उड़द, मूंग, ज्वार, अरहर की बोनी के लिए कम पानी चाहिए इसीलिए बोनी हो रही है, किंतु धान के लिए उपयुक्त बारिश न हो पाने के कारण बोनी नही हो पा रही है।

हालात यदि इसी तरह के बने रहे तो इस वर्ष भी जिले को सूखे से नहीं बचाया जा सकता है। कारण यह कि अभी तक में भले ही 12 फीसदी बोनी हो चुकी हो, किंतु तेज धूप के कारण नही लगता कि बोई गई फसलें तैयार हो पाने की स्थिति में पहुंच पाएंगी। कमजोर बारिश के चलते विभाग तो चिंतित है ही किसान बेहद परेशान देखे जा रहे हैं।

उम्मीद बांधे है कृषि विभाग
अवर्षा के कारण किसानों और आम जनों में जहां अकाल की आशंका घर कर रही है वहीं कृषि विभाग इसके बाद भी उम्मीद पाले हुए है। विभाग के अनुसार यदि 10 अगस्त तक भी अच्छी बारिश हो जाती है तो धान का रोपा लगाया जा सकता है। मक्का, उड़द, मूंग, ज्वार, अरहर की फसल के लिए जरूरी यह है कि इस अवधि तक बारिश का दौर जारी रहे, वरना तेज धूप के कारण बोई गई फसलें भले ही अंकुरित हो जाएंगी, लेकिन सूखने से नहीं बचाया जा सकता है।

बता दें कि जिले में अधिकांश किसान लेव के अलावा सूखे धान की बोनी भी करते हैं। किंतु धान की इस तरह की खेती बारिश का दौर जारी रहने पर ही संभव हो सकती है। लंबे अवधि तक कड़ी धूप रहने पर सूखी खेती के सूख जाने का पूरा भय बना हुआ है।

बीते वर्ष से भी कमजोर हो रही बारिश
जिले को अल्प वर्षा के कारण पिछले वर्ष अकालग्रस्त घोषित किया गया था। बताया जाता है कि बारिश के पूरे मौसम में भले ही कमजोर बारिश रही हो किंतु शुरूआती दौर में यानि बोनी के समय बीते वर्ष इस अवधि में 288.3 मिमी बारिश हो गई थी। वर्तमान समय में अभी तक 193 मिमी बारिश दर्ज हुई है। जानकारी के अनुसार रामपुर नैकिन तहसील क्षेत्र में 160.3 मिमी, चुरहट 153.8 मिमी, गोपद बनास 350.4 मिमी, सिहावल 191.0 मिमी, बहरी 145.5 मिमी, मझौली 165.2 मिमी, कुसमी 185.0 मिमी वर्षा हुई है। जबकि बीते वर्ष सभी तहसील क्षेत्रों में बोनी के लिए पर्याप्त बारिश हो गई थी। यह अलग बात थी कि बाद में बारिश काफी कमजोर हुई जिस कारण पैदावार पर बुरा असर पड़ा था, किंतु बोनी पर किसी तरह का प्रभाव नही देखा गया था। इस वर्ष खरीफ फसलों की बोनी की बोहनी ही कमजोर देखी जा रही है।

इनका कहना है
10 अगस्त तक अगर बारिश ठीक ठाक हो गई तो धान की बोनी नहीं पिछड़ेगी और यदि बारिश का दौर इसी तरह जारी रहा तो जिले को सूखे से नहीं बचाया जा सकता है। कारण यह कि मक्का, उड़द, मूंग, अरहर, ज्वार की भले ही बोनी प्रभावित न हो रही हो किंतु तेज धूप से इन्हें भी नहीं बचाया जा सकता है। उम्मीद है कि तय अवधि तक बारिश किसानों का साथ देगी।
केके पाण्डेय उपसंचालक, कृषि।

 

Created On :   17 July 2018 8:22 AM GMT

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