महंगे दामों में बेच रहे थे शराब दुकान हुई सील - खरीदार बनकर पहुंचे नायब तहसीलदार को दुकानदार ने दी धमकी

महंगे दामों में बेच रहे थे शराब दुकान हुई सील - खरीदार बनकर पहुंचे नायब तहसीलदार को दुकानदार ने दी धमकी
महंगे दामों में बेच रहे थे शराब दुकान हुई सील - खरीदार बनकर पहुंचे नायब तहसीलदार को दुकानदार ने दी धमकी

डिजिटल डेस्क छतरपुर । सरवई में महंगे दामों में देशी शराब बेचे जाने की शिकायत मिलने पर नायब तहसीलदार नारायण अनुरागी खुद ग्राहक बनकर शराब दुकान में शराब खरीदने के लिए पहुंचे। जब उन्होंने देशी शराब दुकान से देशी शराब का एक पाव मांगा तो दुकान संचालक ने प्रिंट रेट से दो गुने दाम पर उन्हें शराब दी। ग्राहक बने तहसीलदार ने जब दुकान संचालक से दाम कम करने की बात कही तो दुकान संचालक ने तहसीलदार से विवाद करते हुए उन्हे मारने की धमकी देने लगा। इतना ही नहीं दुकान संचालक उन्हें दुकान से दुत्कार कर भगाने लगा। दुकान संचालक द्वारा महंगे दामों में शराब बेचे जाने पर नायब तहसीलदार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दुकान को सील कर दिया। 
दोगुने दामों पर बिक रही शराब : शराब पीना भले ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि शराब दुकान संचालक लोगों को दोगुने दाम पर शराब बेचे 
और मुनाफा कमाए। बताया जा रहा है कि सरवई शराब दुकान 
संचालक द्वारा जिस एक पाव देशी शराब की कीमत 70 रुपए के करीब है। उसे वह 120 रुपए से लेकर 140 रुपए तक में बेच रहा था। ये हाल अकेले सरवई शराब दुकान का नहीं है बल्कि जिले की ज्यादातर दुकानों में शराब महंगी बेचने की शिकायते लोगों द्वारा की जा रही है, लेकिन विभाग के अधिकारी मिलीभगत के कारण कार्रवाई नहीं कर रहे हंै।
पूर्व में दी थी समझाइश :  नायब तहसीलदार नारायण अनुरागी का कहना है कि पिछले कई दिनों से शिकायतें मिल रही थी कि दुकान संचालक द्वारा महंगे दामों में शराब की बिक्री की जा रही है। संचालक को समझाइश दी गई जब वह नहीं माना तो यह कार्रवाई की गई है।
आबकारी विभाग को नहीं लगी भनक
ग्रामीणों ने सरवई देशी दुकान संचालक द्वारा महंगे दामों में शराब बेचे जाने की शिकायत आबकारी अधिकारियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से भी की थी, लेकिन आबकारी विभाग ने अनसुना कर दिया था। इसके बाद नायब तहसीलदार ने दुकान को सील कर दिया। आबकारी विभाग के अधिकारियों को इस कार्रवाई की भनक तक नहीं लगी। लोगों का कहना है कि अगर आबकारी अधिकारियों को कार्रवाई में शामिल किया गया होता तो वे कार्रवाई करने के पहले ही दुकान संचालक को सूचना दे देते। विभाग के अफसरों की ठेकेदारों से मिलीभगत है।

Created On :   15 May 2020 6:55 PM IST

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