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गुलाब सागर परियोजना में अंधेरगर्दी का आलम, ठेकेदार पर मेहरबान है विभाग
डिजिटल डेस्क सीधी। गुलाब सागर बांध के डूब प्रभावित किसानों के मुआवजे की एक ओर लड़ाई जारी है तो दूसरी ओर बिना काम शुरू हुये ही विभाग द्वारा ठेकेदार को करोड़ों का अग्रिम भुगतान किया जा रहा है। सीधी से बहरी तक 40 किमी की नहर का निर्माण प्रस्तावित है लेकिन अभी तक काम जोर नहीं पकड़ सका है। डूब क्षेत्र में प्रभावित किसान आंदोलन पर आंदोलन करते जा रहे हैं लेकिन इस ओर सार्थक पहल नहीं हो पा रही है। ठेकेदार पर जहां विभाग मेहरबान बना हुआ है वहीं पीडि़त किसानों के हक की पूरी तरह अनदेखी हो रही है।
उल्लेखनीय है कि गुलाब सागर महान नहर पहले खड्डी से सीधी तक बनाई जानी थी किंतु सिहावल के पूर्व विधायक की पहल पर शासन ने इसे बहरी तक ले जाने की स्वीकृति दे दी है। नहर निर्माण के लिये पिछले वर्ष ही टेण्डर, सर्वे का कार्य पूरा किया गया है। टेण्डर के बाद मेंटेना कंपनी द्वारा नहर निर्माण किया जाना था किंतु महीनों तक निर्माण का मुहूर्त नहीं निकल सका है। हाल ही में कुछ जगह जरूर नहर खुदाई का कार्य हुआ है लेकिन जिस गति से कार्य शुरू होना चाहिए वह गति अभी तक नहं आ सकी है। कुल मिलाकर नहर निर्माण का कार्य अभी रफ्तार नहीं पकड़ पाया है लेकिन विभाग द्वारा 6 करोड़ की राशि पहले ही ठेकेदार केा दे दी गई है। निर्माण कार्य का वर्तमान में यदि मूल्यांकन किया जाय तो 10 लाख से ऊपर का कार्य होना नहीं पाया जायेगा। एक तरफ विभाग जहां ठेकेदार पर पहले की तरह मेहरबान बना हुआ है वहीं दूसरी तरफ बांध का गेट बढ़ाये जाने से डूब क्षेत्र में आये किसानों के मुूआवजे का कोई निराकरण नहीं किया जा रहा है। बता दें कि खड्डी से सीधी तक के नहर निर्माण के लिये विभाग द्वारा मेंटेना कंपनी को 90 करोड़ का अग्रिम भुगतान कर दिया गया था किंतु कंपनी ने 50 करोड़ तक के ही कार्य कराये थे। बाद में जब जांच शुरू हुई तो विभागीय अधिकारी खुद को फंसता देख ठेकेदार पर रिकवरी नहीं निकाल पाये हैें। पुराना मामला अभी पूरी तरह से ठंडा भी नहीं हुआ कि फिर से अग्रिम भुगतान का सिलसिला शुरू हो गया है। जो भी हो विभाग की ठेकेदार के प्रति मेहरबानी भले ही उचित मानी जाय लेकिन डूब प्रभावित किसानों को राहत देने में हो रही प्रशासनिक हीलाहवाली लोगो ंके गले नहीं उतर रही है।
घटिया नहर निर्माण का आरोप
गुलाब सागर महान नहर निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी करने का शुरू से ही आरोप लगते रहे हैं। वर्तमान में भी नहर की गुणवत्ता पर लगाये गये सवाल समाप्त नहीं हुये हैं। कारण यह कि तेंदुआ पडख़ुरी से पुरानी सीधी तक की कंपनी ने जो नहर का निर्माण किया है वह आज भी उपयोग लायक नहीं देखी जा रही है। नहर को नाले के आकार में खोद दिये जाने से सिंचाई की संभावना उक्त स्थान पर आकर समाप्त हो गई है। बताया जाता है कि भूमितल से एकदम खाईनुमा खोदी गई नहर से माइनर नहरों में बिना मोटरपंप के सहारे पानी किसी भी कीमत में नहीं पहुंचाया जा सकता है। ठेकेदार ने इसके पहले भी जहां मुख्य और माइनर नहर का निर्माण किया है वह गुणवत्ताविहीन होने के कारण बांध के पानी का दवाब झेल पाने में असमर्थ पाई जा रही है। एक तरफ जहां पूर्व में कराया गया नहर निर्माण सवालों के घेरे में है वहीं एक्सटेंशन की सीधी, बहरी महान नहर का निर्माण गुणवत्तायुक्त होगा यह गले नहीं उतर रहा है। इसके अलावा बिना काम के करोड़ो का अग्रिम भुगतान लोगों के समझ से परे पाया जा रहा है।
डूब प्रभावित किसानों को न्याय दिलाने आंदोलन की बन रही रणनीति
टोंको रोंको ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने बताया है कि गुलाब सागर बांध की ऊंचाई बढ़ाये जाने से डूब प्रभावित किसानों की बैठक ग्राम छुही में 27 मार्च को 11 बजे से आयोजित की गई है। श्री तिवारी ने बताया है कि प्रशासनिक अनियमितता के कारण डूब में आने वाली भूमियों पर स्थित परसंपत्तियों का मुआबजा नही बनाया गया है तथा सिंचित भूमियों का असिंचित दर से मुआवजा बनाया गया है जिसके विरोध में किसानों ने गेट हटाओ किसान बचाओ आंदोलन किया था। आंदोलन इस शर्त पर स्थगित किया गया था कि जांच कर वास्तविक स्थिति का पंचनामा 15 मार्च तक तैयार कर एक प्रति किसानों को दी जाएगी। पंचनामे के अनुसार किसानों की भूमि में स्थित परिसंपत्तियों का मुआवजा नहीं बनाया गया है तथा सिंचित भूमि का असिंचित दर से मुआबजा बनाया गया है। की गई गड़बड़ी को ठीक कर सही मुआवजा बनाए जाने हेतु आगे के आंदोलन की रणनीति तय करने हेतु 27 मार्च को बैठक आयोजित की गई है।
Created On :   26 March 2018 2:17 PM IST