यात्री बसों के नहीं हिल रहे पहिये, चालक, परिचालक सहित 900 कर्मचारी बैठे हैं बेरोजगार 

The wheels of passenger buses are not moving, 900 workers are sitting unemployed
यात्री बसों के नहीं हिल रहे पहिये, चालक, परिचालक सहित 900 कर्मचारी बैठे हैं बेरोजगार 
यात्री बसों के नहीं हिल रहे पहिये, चालक, परिचालक सहित 900 कर्मचारी बैठे हैं बेरोजगार 

डिजिटल डेस्क सीधी। यात्री बसों के पहिये पिछले 75 दिनों से नहीं हिल रहे हैं। प्रवासी श्रमिकों को ढोने में भले ही बसें लगी  रही हों पर निर्धारित रूट पर चलने वाली बसें इस दौरान नहीं देखी गई हैं। यात्री बसों में कार्यरत करीब 900 चालक,  परिचालक व क्लीनियर बेरोजगार होकर बैठे हैं। कईयों पर आर्थिक संकट का साया मंडरा रहा है। 
यात्री बस संचालक बसों के खड़े रहने पर बकाया टैक्स और रोड पर चलने के दौरान 50 फीसदी यात्रियों के साथ खर्चे की भरपाई न हो पाने से परेशान हैं तो यात्री बसों में काम करने वाले 9 सैकड़ा कर्मचारियों के बेरोजगार होने की चिंता कोई नहीं कर पाया है। पिछले 75 दिन से यात्री बसों के पहिये नहीं हिले हैं ऐसे में चालक, परिचालक और क्लीनियरों की छुट्टी हेा गई है। पुरानी कमाई पर परिचालक भले ही अभी गुजारा कर रहे हों पर चालक और क्लीनियर तो बसों के दौडऩे पर ही निर्भर रहते रहे हैं। बस मालिक से खुराकी और वेतन मिलने पर खुद का खर्च तो चलता ही था परिवार की जरूरतें भी पूरी होती थी। अब जबकि पूरी तरह से बेरोजगार हो गये हैं तो उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। बस मालिकों का यूनियन अपनी मागों को लेकर शासन प्रशासन से पैरवी करते तो देखा जा रहा है किंतु चालक परिचालक और कलीनियरों का सक्रिय यूनियन न होने के कारण इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। प्रवासी श्रमिकों की चिंता सरकार भी कर रही है और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने तथा खाते में पैसे डालने का काम भी हो रहा है पर इस तरह के आर्थिक संकट से जूझ रहे यात्री बसों के कर्मचारियों की कोई नहीं सुन रहा है। फिलहाल पिछले 75 दिन से सुरक्षित स्थानों में खड़ी यात्री बसों के चलने की कोई उम्मीद नही देखी जा रही है। कारण यह कि 50 फीसदी सवारी लेकर चलने पर बस मालिकों के खर्चे की भरपाई भी नहीं हो पायेगी, ऊपर से तीन महीने का बकाया टैक्स भी परिवहन विभाग को देना हेै। बकाया टैक्स के भुगतान पर ही आगे की परमिट जारी हो सकती है। पूरे प्रदेश के बस मालिक सरकार से इन दिनों बकाया टैक्स की छूट देनेे मांग कर रहे हैं। बसों के खड़े रहने पर आमदनी जीरो रही है जिस कारण बस मालिक बकाया टैक्स का भुगतान करने असमर्थता जता रहे हैं। इसके साथ ही बस मालिकों की मांग है कि यदि उन्हें रोड पर चलने का आदेश दिया ही गया हेै तो शेष 50 फीसदी सवारियों के किराये की भरपाई खुद शासन करे तभी चल पाना संभव होगा। बस मालिकों की मांग लंबे समय से जारी हेै पर लगता नहीं कि सरकार इस दिशा में कुछ पहल कर पायेगी। जब तक बस मालिकों की मागें पूरी नहीं होती तब तक निर्धारित रूट पर यात्री बसें दौड़ती दिखेंगी संभव नहीं लग रहा है। 
चालक, परिचालक की कौन सुनेगा?
यात्री बसों के ठप्प होने से चालक, परिचालक और क्लीनियर बेरोजगार हो गये हैं पर इनकी कौन सुनेगा। खुद की यूनियन नहीं और बस संचालक इनकी समस्याओं को सामने लाने वाले नहीं। दूसरे लोगों को इनकी समस्या से कोई लेना देना नहीं तब ऐसे में नहीं लगता कि समस्या का कोई हल निकल पायेगा। कांगे्रस नेता लोकनाथ सोनी कहते हैं कि चालकों, परिचालकों और क्लीनियरों की सेवायें पूरी तरह से ठप्प हो गई हैं जिस कारण इन पर भुखमरी की समस्या मंडराने लगी है। कोरोना को लेकर बसों का संचालन नहीं शुरू हुआ तो हजार की संख्या में बसों की नौकरी पर पेट पालने वालों पर गंभीर संकट आ जायेगा। सरकार को प्रवासी श्रमिकों की तरह इन पर भी सहृदयता दिखानी चाहिए और तत्काल आर्थिक मदद करनी चाहिए। 
इनका कहना है-
तीन महीने का टैक्स बकाया है और इस दौरान बसें खड़ी रही हैं। आमदनी नहीं हुई तो टैक्स की भरपाई  कैसे हो। टैक्स नही देंगे तो आगे की परमिट जारी नहंी हेागी। फिर 50 फीसदी यात्रियो ंको लेकर चलने पर खर्चे की भरपाई भी नही ंहो पायेगी। सरकार से मांग की जा रही है कि तीन महीने का टैक्स माफ करे और शेष 50 फीसदी यात्रियों के किराये का खर्चा खुद वहन करे तभी यात्री वाहनो ंका संचालन संभव हो सकेगा। 
जेएस मिश्रा, महासचिव बस आनर्स एसोसिएशन। 
 

Created On :   8 Jun 2020 9:53 AM GMT

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