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रेलवे वैगन से कोयला चोरी का नहीं रूक रहा सिलसिला
डिजिटल डेस्कअनूपपुर। जमुना कोतमा क्षेत्र अंतर्गत संचालित कोयला खदाने जिनमें आमाडाड ओसीपी, बरतराई, नारायण इंकलाईन, 1/2 मीरा इंकलाइन जैसी खदानों से कोयले का उत्पादन कर उसे रेलवे साइडिंग के माध्यम से निर्धारित स्थलों के लिए भेजा जाता है किंतु कोयला खदानों और रेलवे साइडिंग से कोयला चोरी का सिलसिला बदस्तूर जारी है। कालरी प्रबंधन और रेलवे के द्वारा सुरक्षा के तमाम दाबों के बाद भी कोयले की चोरी नहीं रूक रही है। खदानों से दो पहिया वाहन में कोयला चोरी कर उसकी प्लाटिंग की जाती है। वही रेलवे साइडिंग में रेल बैगन के आते ही स्थानीय लोग कोयले की लूट में जुट जाते हैं। रेल्वे विभाग के सुरक्षा प्रहरी के मौजूद नहीं होने के कारण गोविंदा रेलवे साईडिंग गणेश नगर में कोयला चोरों द्वारा मालगाड़ी से छेड़छाड़ कर गाड़ी को रोक लिया जाता है इसके बाद उनके द्वारा कोयले की सरेआम चोरी की जाती है।
सुरक्षा प्रहरी रहते नदारत
एस.ई.सी.एल.जमुना/कोतमा क्षेत्र कोल इंण्डिया लिमिटेड कंपनी नें जहॉ कोयले की चोरी रोकने के लिए तमाम दावें कर रही है। वही रेल्वे साईडिंग गोविंदा में कांटेदार तारों से दीवार भी बनवाई गई हैं तथा सुरक्षा को और भी पुख्ता करने के लिए सुरक्षा चौकी का निर्माण भी कराया किंतु इन इंतजामों के बावजूद भी कोयले की चोरी नहीं रूक रही है। वजह कोयले से लदी मालगाड़ी के आने के वक्त सुरक्षा प्रहरी मौके पर मौजूद ही नहीं रहते और कोयला चोर बड़ी आसानी से चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं।
एस.ई.सी.एल.गोविंदा साईडिंग की सीमा गोविंदा कालरी गणेश नगर शासकीय स्कूल तक है, शासकीय स्कूल के आगे आरपीएफ की निगरानी में माल गाडी को कोतमा स्टेशन तक पहुंचना होता है किंतु आरपीएफ के जवान कार्यालय में बैठकर ही गस्त और निरीक्षण का कोरम पूरा कर लेते हैं। कोयला चोरों द्वारा घंटो मालगाड़ी को रोककर उससे कोयला उतारा जाता है। इतना ही नहीं रेलवे स्टेशन कोतमा में भी कोयले की चोरी होती रहती है। बावजूद इसके आरपीएफ और जी.आर.पी.के जवान मूक दर्शक की भांति अपने कर्तव्यों से विमुख रहते हैं।
ईट भट्टों में खपता है कोयला
जमुना/कोतमा क्षेत्र की विभिन्न खदानों से होने वाले कोयला चोरी और रेलवे बैगन से उतरने वाले कोयले को क्षेत्रान्तर्गत संचालित अवैध ईट भो तक पहुंचाया जाता है। लहसुई गांव, लहसुई कैंप, भालूमाड़ा, बदरा और जमुना में एक सैकड़ा से ज्यादा अवैध ईट भे संचालित हैं। ईट भट्टों संचालकों द्वारा चोरी के कोयले से ईट पकाने का कार्य किया जाता है। चोरी के कोयले और चोरी के पानी से संचालित ईट भट्टों पर कार्यवाही की मांग भी की जाती रही है।
कागजों में भारी बल मौजूद
कालरी प्रबंधन द्वारा कोयले की सुरक्षा और खदानों की हिफाजत के लिए सुरक्षा की जिम्मेदारी प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी को दे रखा है। प्रत्येक माह लाखों रुपए का भुगतान इन सुरक्षा कंपनियों को सुरक्षा के एवज में दिया जाता है। कागजों में सुरक्षा प्रहरियों की संख्या एक सैकड़ा से ऊपर है किंतु जिस तरह से कोयले की चोरी हो रही है सुरक्षा एजेंसियों की जांच भी जरूरी हो चली है। सुरक्षा एजेंसियों से किए गए अनुबंध के आधार पर सुरक्षा के लिए पूर्व सैनिकों को मुश्तैद किया जाना चाहिए किंतु इन सुरक्षा कंपनियों द्वारा स्थानीय लोगों को ही सुरक्षा के लिए नियुक्त कर दिया जाता है। यह भी कोयला चोरी की एक बड़ी वजह है।
इनका कहना है
इस संबंध में अभियान चलाकर कार्यवाही की जाएगी, कोयला चोरों को चिन्हित किया जा रहा है।
एसएन प्रसाद , एसडीओपी कोतमा
Created On :   8 May 2018 7:14 PM IST