मौसमी बीमारियों से जूझ रहे जिले के हजारों मरीज

Thousands of patients of the district suffering from seasonal diseases
मौसमी बीमारियों से जूझ रहे जिले के हजारों मरीज
 जिला अस्पताल में मरीजों का तांता मौसमी बीमारियों से जूझ रहे जिले के हजारों मरीज

डिजिटल डेस्क सीधी। मौसम के बदलने से सर्दी, जुकाम, बुखार के अलावा अन्य बीमारियां बढ़ रही हैं। जिला चिकित्सालय में हजारो मरीजों की संख्या इन बीमारियों से देखी जाती है। अपने देश के मौसम मुताबिक तीन ऋतुएं अदल-बदल कर आती हैं जिसमें चौमास की बरसात ऋतु के बाद जाड़ा फिर चौमास बाद गर्मी का मौसम यहां बदलता है। अब बरसात समाप्त होने के बाद मौसम परिवर्तन के साथ जाड़े के आगमन पूर्व इन बुखार जन्य सदी, जुकाम की स्वाभाविक बीमारियों से लोग बच नहीं पा रहे हैं। सरकारी खजाने से शहरी क्षेत्र में नाली की सफाई व सड़को के किनारे उगने वाले घास-फूंसो की कटाई व छटाई के खातिर राशि आवंटित होती है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों द्वारा पंच परमेश्वर योजना के तहत गांवों की गलियों, कूचों व मोहल्लों में उगने वाले घास-फूंस या अन्य कटीली झाडिय़ों को काटने का प्रावधान बनाया गया है। यहां तक की जंगलों की सफाई के लिए वन विभाग में भी आवंटन प्राप्त होता है। शायद वनों की सुरक्षा तथा इंतजाम के लिए आग आदि से बचाव के खातिर काफी राशि खर्च की जाती है। इसी तरह लोक निर्माण विभाग द्वारा नेशनल हाइवे व अन्य सड़को जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें व प्रधानमंत्री सड़क योजना आदि के इर्द-गिर्द पटरियों की सफाई व उगने वाले कटीले तथा छोटे पौधों की छटाई, कटाई के लिए भी प्रावधान किया गया है। यह बात अलहदा है कि मौसम समाप्त होने के बाद इन विभागों द्वारा अपने कार्य में रूचि  नहीं ली जाती तब अधूरे कार्य की वजह से झाड़ झंखाड़ के अलावा जल भराव का पानी जमा रहता है। 
शहरी क्षेत्र में स्थिति बदतर दिखाई देती है। शहर की नालियां अपनी बजबजाहट से जल जन्य बीमारियों को बढ़ावा दे रही हैं। वहीं गांवों में जमा जल व खेती के लिए बने बांधों में जल जमाव की स्थिति से अन्य मौसमी बीमारियां भी पनप रही हैं। जंगली क्षेत्रों में बसे गांवों के हालात हाहाकार मचाए हुए हैं। तभी तो जिला अस्पताल में पहुंचने वाले सर्दी, जुकाम व बुखार के मरीजों की संख्या हजारो में पहुंच रही है। जिला अस्पताल सूत्रों की मानें तो डेंगू नामक बुखार जन्य बीमारी के ज्यादातर मरीज इन दिनों आने शुरू हो गए हैं। अस्पताल में बेडों की कमी अक्सर बनी रहती है। इतना ही नहीं जब मरीज की छुट्टी होती है तब भी बेड़ो के चद्दर नहीं बदले जाते हैं। अक्सर यह कहा जाता है कि चद्दर धुलने गए हैं। जब आएंगे तब बदल दिए जाएंगे। यदि पंचायती राज व्यवस्था में अग्रणी प्रदेश का सीधी जिला अपने दायित्व का निर्वहन करे और पंच परमेश्वर योजना का समुचित लाभ पंचायतवासियों के हित में खर्च करे तो ग्रामीण क्षेत्रों की आधी बीमारियों से निजात पाई जा सकती है। इसी तरह यदि वन विभाग वनी क्षेत्रों में बरसात बाद होने वाली खर पतवार की सफाई पर ध्यान दे तो जिले के आदिवासी बाहुल्य कुसमी व मझौली के अलावा सीधी विकासखंड के आधे क्षेत्र में बीमारियों से राहत मिल जाएगी। वहीं शहरी क्षेत्रों में भी खर पतवार व नालियों की सफाई का ध्यान समय पर दिया जाये तो जल जन्य बीमारियों से काफी राहत मिल सकेगी। वैसे भी कोरोना महामारी में अधिकांश बुखार के मरीजों को ही ज्यादा दिक्कतें आती हैं। जिससे मलेरिया से शुरूआत होने के बाद टाइफाइड, चिकनगुनिया, डेंगू आदि तरह-तरह की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। नतीजतन ये बुखार मरीज के शरीर को इतना कमजोर बना देते हैं कि उसे कोरोना से लडऩे की क्षमता कम हो जाती है। 

Created On :   27 Sept 2021 5:21 PM IST

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