चौथे दिन मां 'कुष्मांडा', इस मंत्र के साथ करें पूजा दूर होंगे कष्ट

maa Kushmanda is worshipped on the fourth day during Durga Puja
चौथे दिन मां 'कुष्मांडा', इस मंत्र के साथ करें पूजा दूर होंगे कष्ट
चौथे दिन मां 'कुष्मांडा', इस मंत्र के साथ करें पूजा दूर होंगे कष्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कुष्मांडा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है, जो कि इस बार 24 सितंबर रविवार को है। इस देवी का निवास सूर्यमण्डल के मध्य में है और यह सूर्य मंडल को अपने संकेत से नियंत्रित रखती हैं।

देवी कुष्मांडा अष्टभुजा से युक्त हैं अत: इन्हें देवी अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है। देवी अपने इन हाथों में क्रमशरू कमण्डल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा व माला लिए हुए हैं। ज्योतिष के अनुसार मां कुष्मांडा का संबंध बुध ग्रह से है। 

सिंह पर सवार 

देवी सिंह पर सवार हैं और सदैव ही अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। माता के पूजन से भक्तों के समस्त  प्रकार के कष्ट, रोग, शोक, संतापों का अंत होता है तथा दिर्घायु एवं यश की प्राप्ति  होती है। 

देवी मंत्र 

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमरू।।

पूजा विधि

पूजा की विधि शुरू करने से पूर्व हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करें। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां कुष्माण्डा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। समें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र,चंदन, रोली,हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र,आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें। हरे वस्त्र धारण कर मां कुष्मांडा का पूजन शुभ बताया गया है। 

Created On :   23 Sep 2017 5:40 AM GMT

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