जानिये, चार और पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने के क्या-क्या हैं लाभ

miraculous benefits of four mukhi rudraksha beads
जानिये, चार और पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने के क्या-क्या हैं लाभ
जानिये, चार और पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने के क्या-क्या हैं लाभ

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है। इस गुठली पर प्राकृतिक रूप से कुछ सीधी धारियां होती हैं। ये धारियां स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है।

रुद्राक्ष से होने वाले लाभ 

  • रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है। 
  • जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहां सदा लक्ष्मी का वास रहता है। 
  • रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है। 
  • रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिए अर्थ और काम का दाता है। 
  • रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है। 
  • रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखों से छुटकारा मिलता है। 
  • रुद्राक्ष सभी वणों के पाप का नाश करता है। 
  • रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते हैं। 
  • रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है। 
  • रुद्राक्ष धारण करने से दुष्ट ग्रहों की अशुभता शरीर में होने वाला विषैला संक्रमण और कुदृष्टि दोष, राक्षसी प्रवृत्ति दोष शांत होते हैं। 
  • रुद्राक्ष तेज तथा ओज में अपूर्व वृद्धि करता है।
     


क्या है चार मुखी रुद्राक्ष 

चार मुखी रुद्राक्ष में चार धारियां होती हैं। चार मुखी रुद्राक्ष को चतुर्मुख ब्रह्रा का स्वरूप माना गया है। यह चार वेदों का रूप माना गया है। यह मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चतुर्वर्ग देने वाला है।

यह चारों वर्ण ब्राह्राण, क्षत्रिय, वैश्य, व शूद्र तथा चारों आश्रम ब्रह्राचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा सन्यास के द्वारा पूजित और परम वंदनीय हैं। इसको धारण करने वाला धनाड्य, आरोग्यवान, ज्ञानवान बन जाता है।

चार मुखी रुद्राक्ष बुद्धिदाता है। जिस बालक की बुद्धि पढ़ने में कमजोर हो या बोलने में अटकता हो उसके लिए भी यह उत्तम है। चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक रोग में शान्ति मिलती है। तथा धारण करने वाले का स्वास्थ्य ठीक रहता है। इसे धारण करने से नर हत्या का पाप दूर होता है।

अग्नि पुराण में इसके बारे में लिखा है कि इसको धारण करने से व्याभिचारी भी ब्रह्राचारी तथा नास्तिक भी आस्तिक हो जाता है। रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकं मंत्र  या शिवपंचाक्षर मंत्र "ॐ नमः शिवाय" से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए।

किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहों की स्थिति, बलाबल को भी ध्यान में रखकर तथा परामर्श करने के बाद ही किसी भी निर्णय पर पहुंचना चाहिए। 

क्या है पांच मुखी रुद्रक्ष के लाभ 

पांच मुखी रुद्राक्ष पर पांच धारियां होती हैं। पांच मुखी रुद्राक्ष साक्षात रूद्र स्वरूप है, रुधोजात, ईशान, तत्पुरुष, अघोर, तथा कामदेव, शिव के ये पांचों रूप पंच मुखी रुद्राक्ष में निवास करते हैं। पंचमुखी रुद्राक्ष को पंचमुख ब्रह्रा स्वरूप माना जाता है, इसके पांच मुखों को भगवान शिव का पंचानन स्वरूप माना गया है मानव इस संसार में जो भी ज्ञान रूपी सम्पत्ति उपार्जित करता है वह सुस्पष्ट और स्थायी हो तभी उसकी सार्थकता है। इस प्रकार के ज्ञान की रक्षा के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष विशेष उपयोगी होता है।

यह रुद्राक्ष ह्रदय को स्वच्छ, मन को शान्त तथा दिमाग को शीतल रखता है पंचमुखी रुद्राक्ष दीर्घायु और अपूर्व स्वास्थ्य प्रदान करता है। यह मनुष्य को उन्नति पथ पर चलने की ताकत देता है तथा उन्हें आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति कराता है। पंचमुखी रुद्राक्ष रूद्र का प्रतीक माना जाता है।

यह रुद्राक्ष पर स्त्री गमन के पाप को हरता है तथा इसे धारण करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके धारक को किसी प्रकार का दुःख नहीं सताता है इसके गुण अनंत होते हैं। इसलिये इसे अत्यन्त प्रभावशाली तथा महिमामय माना जाता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष के कम से कम तीन या पांच दाने धारण करने चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकमंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र "ओम नमः शिवाय" से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए।

उक्त जानकारी सूचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहों की स्थिति, बलाबल को भी ध्यान में रखकर धारण करना चाहिए। 

Created On :   22 Jun 2018 7:43 AM GMT

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