Valentine’s Special: 'वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा' मधुबाला की हसीन प्रेम कहानी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्यार करने वालों का दिन कहे जाने वाले वैलेन्टाइन्स डे पर आज हम आपको बता रहे हैं बॉलीवुड की फेमस अदाकारा मधुबाला की कहानी। ये कहानी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। इस कहानी में प्यार भी है और जुदाई भी है। भले ही आज मधुबाला हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आज भी वो अपनी खूबसूरती और अपनी बेहतरीन अदाकारी के लिए याद की जाती हैं। बुधवार को मधुबाला का जन्मदिन भी है। मधुबाला हिंदी सिनेमा का ऐसा नाम है, जिसका जिक्र आते ही आंखों के आगे हसीन-जहीन चेहरा घूम जाता है। एक ऐसी खूबसूरती जिसे एक बार देख ले तो जेहन से निकालना मुश्किल हो जाए। मधुबाला का आज 85वां जन्मदिन है। एक जमाना था जब दुनिया भर में उनकी खूबसूरती का डंका बजता था।
रियल नेम था मुमताज जहां देहलवी
थिएटर्स आर्ट्स नाम की अमेरिकी मैग्जीन ने मधुबाला को ""द बिगेस्ट स्टार इन द वर्ल्ड"" का खिताब दिया था। उन्हें अभिनय के साथ-साथ उनकी अद्भुत सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। मुधुबाला को ‘वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा’ और ‘द ब्यूटी ऑफ ट्रेजेडी’ जैसे नाम भी दिए गए। मधुबाला का जन्म 14 फरवरी, 1933 को मुंबई में हुआ था। इनके बचपन का नाम मुमताज जहां देहलवी था। पिता का नाम अताउल्लाह और माता का नाम आयशा बेगम था। शुरुआती दिनों में इनके पिता पेशावर की एक तंबाकू फैक्ट्री में काम करते थे, वहां से नौकरी छोड़ उनके पिता पहले दिल्ली और वहां से मुंबई चले आए, जहां मधुबाला का जन्म हुआ। वेलेंटाइन डे वाले दिन जन्मीं इस खूबसूरत अदाकारा के हर अंदाज में प्यार झलकता था।
मधुबाला की खूबसूरती ऐसी थी कि आंखें चौंधियां जाए, अपने जमाने की सबसे ग्लैमरस एक्ट्रेस में उनका नाम शुमार था। मुधबाला बचपन से ही फिल्मों में काम करना चाहती थी, लेकिन उनकी जिंदगी में हमेशा उनके पिता की दखलंदाजी बनी रही। लव लाइफ से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक में उनका बहुत दखल था। मुमताज ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1942 की फिल्म ‘बसंत’ से की थी। यह काफी सफल फिल्म रही और इसके बाद इस खूबसूरत अदाकारा की लोगों के बीच पहचान बनने लगी। इनके अभिनय को देखकर उस समय की जानी-मानी अभिनेत्री देविका रानी बहुत प्रभावित हुई और मुमताज जेहान देहलवी को अपना नाम बदलकर ‘मधुबाला’ नाम रखने की सलाह दी थी।
ऐसे शुरु हुई थी मधुबाला-दिलीप की प्रेम कहानी
मधुबाला और दिलीप कुमार की लव स्टोरी के बारे में तो हर कोई जानता है, ये लव स्टोरी फेल क्यों हुई इसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। इस लव स्टोरी की शुरुआत साल 1957 में फिल्म ‘तराना’ के सेट से हुई। दोनों पहली नज़र में ही एक दूसरे को दिल बैठे। इन दोनों की लव स्टोरी की सबसे खास बात थी मधुबाला का दिलीप कुमार को प्रपोज़ करके अपने दिल का हाल बताना। अपने इश्क का इज़हार करने के लिए मधुबाला ने दिलीप कुमार को गुलाब के फूल के साथ एक चिट्ठी भेजी जिसमें लिखा था कि अगर आप मुझसे मोहब्बत करते हैं तो ये गुलाब का फूल कुबूल करें।
"द लीजेंड दिलीप कुमार" और उनकी रोमांटिक लाइफ के अनसुने किस्से
यही वो मौका था जब दिलीप कुमार को मधुबाला के लिए अपने दिल में छुपे प्यार का इज़हार करने का मौका मिल गया। दिलीप कुमार मुस्कुराए और उन्होंने मधुबाला की तरफ से भेजा गया गुलाब का फूल कुबूल कर लिया। इस खूबसूरत शुरुआत को नज़र लगी मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान की जिसके कारण कुछ समय बाद दोनों को अलग होना पड़ा और इस तरह मधबाला की पहली प्रेम कहानी अधूरी ही रह गई। जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे दोनों के दिलों से एक-दूसरे की यादें भी धुंधली पड़ती गई जिसके बाद आखिर वो समय आ ही गया जब मधुबाला का दिल फिर किसी के लिए धड़का। फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ का गाना भीगी-भीगी-सी गाना गाकर किशोर कुमार उनका दूसरे प्यार बन गए। जल्द ही दोनों ने शादी कर ली।
किशोर कुमार से की शादी
दिलीप कुमार के साथ रिश्ता टूटने के बाद 1960 के दशक में मधुबाला ने किशोर कुमार से शादी कर ली, शादी से पहले किशोर कुमार ने इस्लाम धर्म कबूल किया और नाम बदलकर करीम अब्दुल हो गए। उसी समय मधुबाला को दिल की बीमारी हो गई, उनके दिल में छेद था। वह इलाज के लिए लंदन भी गई, लंदन के डॉक्टर ने मधुबाला को देखते ही कह दिया कि वह दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह सकतीं। इसकी वजह से इनके शरीर में खून की मात्रा बढ़ती जा रही थी। डॉक्टर भी इस रोग के आगे हार मान गए और कह दिया कि ऑपरेशन के बाद भी वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएंगी। वर्ष 1969 में उन्होंने फिल्म ‘फर्ज’ और ‘इश्क’ का निर्देशन करना चाहा, लेकिन यह फिल्म नहीं बनी और इसी वर्ष अपना 36वां जन्मदिन मनाने के नौ दिन बाद 23 फरवरी,1969 को बेपनाह हुस्न की मलिका दुनिया को छोड़कर चली गईं।
‘सौंदर्य देवी’ भी कही जाती थीं मधुबाला
वर्ष 1947 में आई फिल्म ‘नील कमल’ मुमताज के नाम से आखिरी फिल्म थी, इसके बाद वह मधुबाला के नाम से जानी जाने लगीं। इस नाम से ही उनकी पहचान बन गई। इस फिल्म में महज चौदह वर्ष की मधुबाला ने राजकपूर के साथ काम किया। ‘नील कमल’ में अभिनय के बाद से उन्हें सिनेमा की ‘सौंदर्य देवी’ भी कहा जाने लगा। इसके दो साल बाद मधुबाला ने बॉम्बे टॉकिज की फिल्म ‘महल’ में अभिनय किया और फिल्म की सफलता के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मधुबाला ने उस समय के सफल अभिनेता अशोक कुमार, रहमान, दिलीप कुमार और देवानंद जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया था। हालांकि बीच में उनकी कई फिल्में फ्लॉप होने के बाद 1958 में उन्होंने एक बार फिर अपनी प्रतिभा को साबित किया और उसी साल उन्होंने भारतीय सिनेमा को ‘फागुन’, ‘हावड़ा ब्रिज’, ‘काला पानी’ और ‘चलती का नाम गाड़ी’ जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। उनकी हिट फिल्मों में चलती का नाम गाड़ी, मुगल-ए-आजम, महल और हाफ टिकट जैसी फिल्मों के नाम आते हैं।
मधुबाला ने लगभग 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया, उन्होंने ‘बसंत’, ‘फुलवारी’, ‘नील कमल’, ‘पराई आग’, ‘अमर प्रेम’, ‘महल’, ‘इम्तिहान’, ‘अपराधी’, ‘मधुबाला’, ‘बादल’, ‘गेटवे ऑफ इंडिया’, ‘जाली नोट’, ‘शराबी’ और ‘ज्वाला’ जैसी फिल्मों में अभिनय से दर्शकों को अपनी अदा का कायल कर दिया। मधुबाला भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मनोरंजन-जगत में उनका नाम हमेशा अमर रहेगा। उनके चाहने वाले आज भी उनके पोस्टर अपने घरों में लगाए हुए हैं।
Created On :   14 Feb 2018 12:13 PM IST