जम्मू-कश्मीर के दुर्गम क्षेत्र में सायनोबैक्टीरिया की एक नई प्रजाति मिली

A new species of cyanobacteria found in the inaccessible area of ​​Jammu and Kashmir
जम्मू-कश्मीर के दुर्गम क्षेत्र में सायनोबैक्टीरिया की एक नई प्रजाति मिली
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में वनस्पति विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक महत्वपूर्ण खोज की है। वनस्पति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रशांत सिंह और उनके साथ मार्गदर्शन में शोध कर रहे नरेश कुमार ने जम्मू-कश्मीर से सायनोबैक्टीरिया की एक नई प्रजाति की खोज की है। सायनोबैक्टीरिया (नील हरित शैवाल) वस्तुत पृथ्वी के ऑक्सीजनीकरण के लिए जिम्मेदार हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे वैश्विक जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता से संबंधित चिंताएं बढ़ती जा रही हैं, जीवन के विभिन्न स्वरूपों की पहचान करना और उनका संरक्षण करना अब पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है।

नरेश कुमार, जम्मू के मूल निवासी हैं और अपने पीएचडी कार्य में जम्मू-कश्मीर के सायनोबैक्टीरिया को पॉलीफेसिक ²ष्टिकोण द्वारा पहचानने और संरक्षित करने का कार्य कर रहे हैं। नई प्रजाति का नाम काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के संघर्ष व योगदान के सम्मान मे अमेजोनोक्रिनिस मालवियाई रखा गया है।

साइनोबैक्टीरिया का अध्ययन करने के लिए आधुनिक पॉलीफेसिक ²ष्टिकोण का उपयोग करने वाले अध्ययनों के संदर्भ में जम्मू क्षेत्र का बहुत अधिक अध्ययन नहीं किया गया है। इसका एक प्रमुख कारण, इस क्षेत्र की भौगोलिक जटिलताएं और अत्यंत मुश्किल जलवायु है, जिसके फलस्वरूप सर्दियों में कई महीने अत्याधिक ठण्ड और बर्फ रहती है। शोध-दल का अनुमान है कि वर्तमान कार्य एक प्राथमिक मूल अध्ययन के रूप में काम करेगा और अन्य शोधकर्ताओं को इस क्षेत्र की जैव विविधता के संरक्षण में आगे आने के लिए प्रेरित करेगा।

यह अध्ययन और भी महत्वपूर्ण और दिलचस्प इसलिए भी है क्यूंकि अमेजोनोक्रिनिस जीनस की खोज ब्राजील के अमेजॅन के जंगलों में हाल ही में वर्ष 2021 में हुई थी। इतने कम समय के अंतराल में, जम्मू के ठंडे क्षेत्रों से अमेजोनोक्रिनिस की एक नई प्रजाति की खोज जैव-भौगोलिक संदर्भ में इस अध्ययन के महत्व को और रेखांकित करती है।

इस शोध द्वारा, साइनोबैक्टीरिया की टैक्सोनॉमी (जीवित रूपों की पहचान का विज्ञान) से संबंधित नई खोजों की श्रृंखला को बनाए रखने के अलावा, शोध-दल का एक उद्देश्य काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की अप्रतिम - चिरस्थायी विरासत में और योगदान देना भी था।

डॉ. प्रशांत सिंह ने कहा कि महामना के जीवन के संस्मरण, बीएचयू से जुड़े लोगों के लिए एक आदर्श के रूप में काम करते हैं, जिन्होंने कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद हमेशा अपने सपनों को साकार करने और राष्ट्र के हित में योगदान देने के लिए कड़ी मेहनत की है। इस कार्य के माध्यम से, डॉ. सिंह के शोध-समूह का उद्देश्य पूरे भारत में अधिक से अधिक छात्रों और शोधकर्ताओं को आगे बढ़कर इन अनमोल जीवन स्वरूपों के संरक्षण के लिए काम करने के लिए प्रेरित करना है। डॉ. सिंह के अनुसार, ऐसे शोध कार्य उन प्रमुख तरीकों में से एक हो सकते हैं जिसके माध्यम से हम वैश्विक जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता की हानि से उत्पन्न हुई जटिलताओं से लड़ सकते हैं। शोध दल में डॉ. अनिकेत सराफ (आरजे कॉलेज, मुंबई), सागरिका पाल और दीक्षा मिश्रा (वनस्पति विज्ञान विभाग, बीएचयू) भी शामिल थे।

इस कार्य को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, की कोर रिसर्च ग्रांट और बीएचयू इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस स्कीम के तहत सिड ग्रांट द्वारा वित्त पोषित किया गया था। यह अध्ययन इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

 (आईएएनएस)।

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Created On :   23 Jan 2023 6:30 PM IST

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