Yoga Day 2025: समझें योग का असली अर्थ: क्या योग सिर्फ आसन तक सीमित है?

आजकल योग चर्चा का विषय है। कोई इसके लाभ की बात कर रहा है तो कोई अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और उसकी थीम 'योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ' की। परन्तु कुछ ही लोग होंगे जो इसके वास्तविक अर्थ से परिचित हों।
योग केवल व्यायाम या शरीर को लचीला बनाने का माध्यम नहीं है, बल्कि एक सम्पूर्ण जीवन-दर्शन है जो मन, शरीर और आत्मा को संतुलन में रखता है। 'योग' शब्द संस्कृत की 'युज्' धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है "जुड़ना" अर्थात् मन को भगवान् में लगाना। यही योग का परम उद्देश्य भी है।
योग का शास्त्रीय स्वरूप
विश्व के पंचम मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के अनुसार, योग का असली स्वरूप हमारे शास्त्रों में गहराई से वर्णित है। ऋषि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित "अष्टांग योग" इस दर्शन की आधारशिला है। इसमें आठ अंग होते हैं— यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इन आठों अंगों में पहले पाँच (यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार) शरीर से संबंधित हैं, जबकि अंतिम तीन (धारणा, ध्यान और समाधि) मन से सम्बंधित हैं।
ध्यान, धारणा और समाधि का रहस्य
ध्यान का अर्थ है भगवान का चिंतन। जब मन केवल भगवान के चिंतन में लीन हो जाए, तो वह धारणा कहलाती है। और जब व्यक्ति आत्मविस्मृति की अवस्था में पहुंचकर अपने स्वरूप में स्थित हो जाए, तब वह समाधि कहलाती है। यह समाधि योग का अंतिम और सबसे श्रेष्ठ चरण है।
सनकादिक परमहंस, जो सतयुग के योगाचार्य माने जाते हैं, उन्होंने श्रीमद्भागवत में योग का यही सार बताया है — मन को सम्पूर्ण विश्व से हटाकर केवल भगवान में लगाना ही वास्तविक योग है। जब जीवात्मा का परमात्मा से संयोग हो जाए, तभी उसे पूर्ण योग कहा जाता है।
जगद्गुरु कृपालु परिषत् द्वारा वृन्दावन, बरसाना और कृपालु धाम - मनगढ़ में तीन पूर्णतः नि:शुल्क चिकित्सालय चलाए जाते हैं।
जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालयों में योग शिविर
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने अपने ग्रंथ प्रेम रस सिद्धांत में योग के अलावा भक्ति, ज्ञान और कर्म के मार्गों को भी वेदों-शास्त्रों के प्रमाण देते हुए विस्तार से समझाया है। जगद्गुरु कृपालु जी ने 1972 में एक धर्मार्थ धार्मिक संस्था की स्थापना की जिसे जगद्गुरु कृपालु परिषत् के नाम से जाना जाता है।
इस संस्था के संरक्षण में वृन्दावन, बरसाना और कृपालु धाम - मनगढ़ में तीन पूर्णतः नि:शुल्क चिकित्सालय चलाए जा रहे हैं। इन चिकित्सालयों में अभावग्रस्त वर्ग को एलोपैथी, होम्योपैथी, नेचुरोपैथी और आयुर्वेदिक चिकित्सा विधि द्वारा इलाज एवं दवाइयाँ मुफ्त में प्रदान की जाती हैं।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के गोलोक गमन के पश्चात् इन चिकित्सालयों का नेतृत्व उनकी तीनों सुपुत्रियों द्वारा किया जा रहा है। जगद्गुरु कृपालु परिषत् की अध्यक्षाओं सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी, सुश्री डॉ. श्यामा त्रिपाठी जी और सुश्री डॉ. कृष्णा त्रिपाठी जी की देख-रेख में इन चिकित्सालयों में समय-समय पर योग शिविरों के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाने और उनके स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाते हैं।
ऋषि पतंजलि की योग की परिभाषा
अष्टांग योग में अनेक कड़े नियम होते हैं। सबसे पहले आते हैं यम और नियम — जिनमें सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य जैसे नैतिक सिद्धांत आते हैं।
इसके बाद आता है आसन, जो आज सबसे अधिक प्रचलित है। वर्तमान समय में योग का रूप कुछ हद तक केवल शारीरिक आसनों तक ही सीमित हो गया है, जबकि ऋषि पतंजलि ने आसन को केवल एक साधन के रूप में बताया था, न कि अंतिम लक्ष्य के रूप में। अनेक मनःकल्पित आसन आज भारत और विदेशों में प्रचलित हैं, जिनका उद्देश्य शरीर को स्वस्थ और संयमित बनाना है — जो योग का एक महत्त्वपूर्ण भाग भी है।
ऋषि पतंजलि ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति भगवान का ध्यान नहीं कर सकता, तो वह सिद्ध महापुरुषों का चिंतन करे। क्योंकि वे हमारे समान प्रतीत होते हैं, उनका स्मरण करना सरल होता है, और उनके चिंतन से भी मन शुद्ध होता है। अंततः यह शुद्धता हमें भगवान के स्मरण के योग्य बना देती है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का संदेश
प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। यह दिवस भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2014 में घोषित किया गया।
आज दुनियाभर के करोड़ों लोग योग को अपनाकर शारीरिक और मानसिक लाभ ले रहे हैं। भारत सहित विश्व के अनेक देशों में इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। विद्यालयों, महाविद्यालयों, ऑफिसों और सार्वजनिक स्थलों पर सामूहिक योग सत्र आयोजित होते हैं, जिनमें लाखों लोग भाग लेकर योग की महत्ता को प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं। यह भारत की उस प्राचीन परंपरा का प्रतीक है, जो आज भी विश्व कल्याण में योगदान दे रही है।
योग एक सार्वभौमिक विज्ञान है जो हर उस व्यक्ति को लाभ देता है जो इसे श्रद्धा और नियमितता से अपनाता है। तो आप भी योग का अभ्यास कीजिए, स्वयं को स्वस्थ बनाइए, समाज को स्थिर बनाइए और संसार में शांति और समरसता फैलाइए। यही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का संदेश है।
Created On :   21 Jun 2025 1:06 PM IST