Air Pollution: दुनियाभर में बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों के लिए बन रहा बड़ा खतरा, रिसर्च में चौंका देने वाला खुलासा आया सामने

दुनियाभर में बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों के लिए बन रहा बड़ा खतरा, रिसर्च में चौंका देने वाला खुलासा आया सामने
  • देशभर में बढ़ रहा है वायु प्रदूषण का खतरा
  • हवा में मौजूद बेहद बारीक कण PM2.5 फेफड़ों से होते हुए पहुंते खून तक
  • रिसर्च के अनुसार प्रदूषण का सबसे ज्यादा बुजुर्गों और स्मोकर्स के साथ इन लोगों पर दिखा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। हर तरफ नई-नई इंडस्ट्रीज बन रही हैं, पेड़ों की जगहों पर लोग तरह-तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं। ऐसे में एयर पॉल्यूशन ने रफ्तार पकड़ ली है। हर जगह फैला हुआ धुआं लोगों के फेफड़ों को तो भारी नुकसान पहुंचाता ही है, लेकिन अब ये हार्ट की तरफ भी बढ़ने लगा है। जी हां, हाल ही में जर्नल रेडियोलॉजी में छपी एक रिसर्च में सामने आया है कि, लंबे वक्त तक प्रदूषण में रहने से फेफड़ों के साथ-साथ हार्ट भी डैमेज हो रहा है। जिससे हार्ट फेलियर जैसी गंभीर परेशानियों का खतरा बढ़ रहा है। साथ ही, लंबे समय तक धुएं में रहने से हार्ट की मांसपेशियों में खतरनाक दाग बनने लगते हैं, जिनको मायोकार्डियल फाइब्रोसिस (Myocardial Fibrosis) का नाम दिया गया है।

रिसर्च में क्या आया है सामने?

स्टडी में सामने आया है कि हवा में मौजूद बेहद बारीक कण PM2.5 फेफड़ों से होते हुए खून तक पहुंच रहे हैं। वे कण खून से सीधे दिल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। MRI स्कैन से पता चला है कि जिन लोगों ने ज्यादा प्रदूषण झेला है, उनके हार्ट की मांसपेशियों में ज्यादा दाग देखने को मिले हैं। जिसमें ज्यादातर महिलाएं, हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित और धूम्रपान करने शामिल थे और इन पर ही इसका ज्यादा असर देखने को मिला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब मरीजों के इलाज में उनकी Air Pollution Exposure History को भी ध्यान में रखना जरूरी है। यह अध्ययन चेतावनी देता है कि प्रदूषण को हल्के में लेना अब जानलेवा साबित हो सकता है।

दिल की मांसपेशियों में छिपा खतरा

वैज्ञानिकों ने पाया कि, हवा में मौजूद PM2.5 जैसे बहुत ही छोटे कण दिल की मांसपेशियों में 'Myocardial Fibrosis' नामक स्कार छोड़ देते हैं। यह स्कार समय के साथ दिल की क्षमता को कमजोर करता है। टोरंटो यूनिवर्सिटी की टीम ने 694 लोगों पर स्टडी की, जिनमें से 493 पहले से बीमार थे और 201 पूरी तरह स्वस्थ थे। MRI स्कैन से साफ हुआ कि जो लोग ज्यादा प्रदूषित इलाकों में रह रहे थे, उनके दिल की मांसपेशियां ज्यादा डैमेज्ड थीं। बता दें, ये स्थिति धीरे-धीरे शख्स को हार्ट फेलियर की ओर ले जाती है।

किन पर ज्यादा असर दिखा?

रिसर्च के अनुसार प्रदूषण का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों पर दिखा जो पहले से सेंसिटिव थे। हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे मरीज, महिलाएं और स्मोकिंग करने वाले लोग ज्यादा प्रभावित पाए गए। इनमें दिल की मांसपेशियों का नुकसान तेजी से बढ़ा है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि भविष्य में हार्ट की जांच में सिर्फ ब्लड टेस्ट और स्कैन ही नहीं, बल्कि मरीज का प्रदूषण का इतिहास भी देखा जाना चाहिए। इससे डॉक्टर यह समझ सकेंगे कि किन लोगों को हार्ट फेलियर का खतरा ज्यादा है और किसे समय रहते सावधानी की जरूरत है।

कैसे बचाएं खुद को?

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण से पूरी तरह बचना मुश्किल है, लेकिन सावधानी रखकर दिल को काफी हद तक सुरक्षित किया जा सकता है। ऐसे में जरूरी है कि लोग ज्यादा प्रदूषण वाले समय खासतौर पर सुबह-शाम और स्मॉग के दिनों में बाहर निकलने से बचें। बाहर निकलते समय N95 मास्क पहनना और घर में एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करना मददगार हो सकता है। हर रोज हल्का व्यायाम, योग और संतुलित आहार से शरीर को किसी भी बीमारी से लड़ने की क्षमता मिलती है। इसलिए ही अपने आपको जितना ज्यादा हेल्दी हो सके उतना रखने की कोशिश करें। धूम्रपान करने वालों को तुरंत स्मोकिंग छोड़ देनी चाहिए। साथ ही, दिल के मरीजों को नियमित स्वास्थ्य जांच और डॉक्टर की सलाह को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

Created On :   16 Sept 2025 2:55 PM IST

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