मप्र में कोरोना बन रहा चुनौती, रिकवरी रेट 75 फीसदी

Corona is becoming a challenge in MP, recovery rate 75 percent
मप्र में कोरोना बन रहा चुनौती, रिकवरी रेट 75 फीसदी
मप्र में कोरोना बन रहा चुनौती, रिकवरी रेट 75 फीसदी
हाईलाइट
  • मप्र में कोरोना बन रहा चुनौती
  • रिकवरी रेट 75 फीसदी

भोपाल, 14 सितंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण चुनौती बनता जा रहा है। मरीजों की संख्या के साथ मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता ही जा रहा है। राज्य में हर रोज दो हजार से ज्यादा नए मरीज सामने आने लगे हैं। मरीजों को बेहतर सुविधा दिलाने के मकसद से सरकार ने इंतजाम किए हैं, मगर स्थितियां लगातार बिगड़ रही हैं। इससे राज्य सरकार चिंतित भी है। इस समय रिकवरी रेट 75 फीसदी है।

राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 88 हजार से ज्यादा हो गया है। इनमें से 66 हजार से ज्यादा मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। वहीं सक्रिय मरीजों की संख्या लगभग साढ़े 20 हजार है। प्रतिशत के हिसाब से देखें तो मरीजों के स्वस्थ होने का प्रतिशत 75 है, जो देश के औसत से कम है। देश में रिकवरी रेट लगभग 78 फीसदी है।

राज्य में आम जिंदगी पटरी पर लौटाने के चल रहे प्रयासों के साथ मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। बस सेवा के साथ नगरीय परिवहन सेवाएं भी शुरू हो चुकी हैं। दफ्तरों में लोगों की उपस्थिति बढ़ रही है, पूरे सप्ताह बाजार खुल रहे हैं। होटल, रेस्टोरेंट शुरू हो चुके हैं। इस तरह जहां एक तरफ जीवन रफ्तार पकड़ रहा है, वहीं मरीजों की संख्या बढ़ रही है। राज्य में भोपाल, इंदौर के अलावा जबलपुर, ग्वालियर व उज्जैन जिलों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी कहना है कि वैश्विक स्तर से प्रदेश तक कोरोना महामारी की गंभीर होती स्थिति के कारण सजगता और सतर्कता जरूरी है। कोरोना संक्रमण की घातकता को समझना और उससे डरना आवश्यक है, तभी हर व्यक्ति कोरोना से बचाव के लिए आवश्यक सावधानी का गंभीरता से पालन करेगा।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना की गंभीर होती स्थिति और सामाजिक व आर्थिक गतिविधियां लंबे समय तक बंद नहीं कर पाने की बाध्यता को देखते हुए दीर्घकालिक रणनीति बनाना आवश्यक है। इसके साथ ही सर्वसम्मति से धर्मगुरुओं, सामाजिक, राजनीतिक, व्यापारिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं से विचार-विमर्श कर कार्ययोजना बनाई जाए। कोरोना प्रबंधन के लिए शासकीय सहित निजी अस्पतालों के प्रबंधन, चिकित्सा महाविद्यालयों, विषय-विशेषज्ञों से संवाद कर रणनीति विकसित की जाए।

राज्य में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या और छोटे शहरों से बड़े शहरों को आ रहे मरीजों की संख्या के कारण अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ने की आशंका भी होने लगी है। यही कारण है कि छोटे शहरों की व्यवस्थाओं को और दुरुस्त किया जा रहा है। इसके साथ ही सरकार इस बात की जरूरत महसूस कर रही है कि इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन आदि जिलों में जागरूकता बढ़ाई जाए।

एसएनपी/एसजीके

Created On :   14 Sept 2020 5:30 PM IST

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