सुशांत की मौत का कवरेज, कोविड व बेरोजगारी से लोगों में बढ़ा आत्महत्या का विचार (आईएएनएस विशेष)

Coverage of Sushants death, Kovid and unemployment increase the idea of suicide among people (IANS special)
सुशांत की मौत का कवरेज, कोविड व बेरोजगारी से लोगों में बढ़ा आत्महत्या का विचार (आईएएनएस विशेष)
सुशांत की मौत का कवरेज, कोविड व बेरोजगारी से लोगों में बढ़ा आत्महत्या का विचार (आईएएनएस विशेष)
हाईलाइट
  • सुशांत की मौत का कवरेज
  • कोविड व बेरोजगारी से लोगों में बढ़ा आत्महत्या का विचार (आईएएनएस विशेष)

नई दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस)। कोरोनावायरस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए देशभर में 24 मार्च से राष्ट्रव्यापी बंद लागू किया गया था, जिस दौरान लाखों लोग अपने घरों में ही रहे और वह केवल जरूरी वस्तुओं की खरीदारी के लिए ही बाहर निकले। राष्ट्रव्यापी बंद भारत में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने में प्रभावी रहा हो, ऐसा जरूर हो सकता है, मगर यह कई लोगों के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं रहा है।

यह देखने को मिला है कि मनोचिकित्सकों के सामने इस अवधि के दौरान आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले अधिक रोगी पहुंचे हैं। इस दौरान लोगों को रोजगार और आजीविका का नुकसान हुआ है और साथ ही घर में हिंसा की घटनाएं भी बढ़ी हैं। पिछले दो महीनों में इस तरह की स्थिति काफी बढ़ गई है।

नई दिल्ली के एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल आकाश हेल्थकेयर का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य जैसी दिक्कतों से जूझ रहे 33 प्रतिशत रोगियों को आत्मघाती (खुद को नुकसान पहुंचाना या आत्महत्या का विचार) विचारों का सामना करना पड़ा है। सबसे बड़े उदाहरणों में से एक सुशांत सिंह राजपूत की मौत का व्यापक कवरेज रहा है, जिन्होंने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। इस बीच, इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी) का कहना है कि वे हर दिन कम से कम 10 रोगियों को देखते हैं, जो विभिन्न कारणों से आत्महत्या के विचारों की शिकायत करते हैं।

द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर एंड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की मनोवैज्ञानिक डॉ. लवलीन मल्होत्रा ने कहा, सबसे बड़े ट्रिगर्स में से एक आत्महत्या के बारे में बात करना हो सकता है और सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु और उस पर लगातार मीडिया चर्चा के बाद से बहुत से लोग हमारे पास आ रहे हैं, जिन्हें आत्महत्या के ख्याल आ रहे हैं और वे इसके बारे में उत्सुक हैं।

उन्होंने कहा, पिछले दो महीनों में लगभग 150 लोगों ने क्लीनिकल मानसिक स्वास्थ्य दिक्कतों के कारण हमसे संपर्क किया है और इनमें से 50 को गंभीर आत्मघाती विचार आ रहे थे। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में भी आत्मघाती विचार देखे गए हैं। रोगियों में से एक 30 वर्षीय व्यक्ति था, जिसने दवा की अधिकता के माध्यम से आत्महत्या करने की कोशिश की। जिन लोगों को चिंता या द्विध्रुवीय विकार (बाइपोलर डिसऑर्डर) है, उनके लिए भी आत्महत्या किए जाने को लेकर खतरा हो सकता है।

दवा और स्वास्थ्य सेवा की दिग्गज कंपनी अपोलो की टेलीमेडिसिन सेवा अपोलो टेलीहेल्थ का कहना है कि उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से पीड़ित लोगों को 2000 परामर्श दिए हैं। अपोलो टेलीहेल्थ में मनोवैज्ञानिक डॉ. तबस्सुम शेख ने कहा कि उनमें से कई ने आत्मघाती प्रवृत्ति प्रदर्शित की है।

शेख ने कहा, रोगियों में कई तरह की दिक्कतों और अंतर्निहित स्थितियों को देखा गया, जिससे आत्महत्या तक के विचार आने लगे। लेकिन अधिकांश को संक्रमण, सोशल आइसोलेशन, प्रियजनों को नुकसान के डर का सामना करना पड़ा, जो बेरोजगारी और नुकसान के कारण उत्पन्न संकट से अक्सर पीड़ित थे।

शेख ने कहा कि लोगों को भावनात्मक दुख, कोविड-19 की व्यापकता के कारण चिंता, अकेलापन, अवसाद, रोजगार के मुद्दे, बेरोजगारी, नौकरी की सुरक्षा और संतुष्टि की कमी जैसी चिंताओं से जूझना पड़ा है। यही नहीं, काम के दबाव के कारण लोगों में अपर्याप्त नींद भी इसका कारण रही है।

तनाव के कारण वैवाहिक जीवन में भी खटास आने वाले मामले देखने को मिले हैं।

इस बीच, डॉ. मल्होत्रा ने सलाह दी कि आत्मघाती विचारों को कम करने के लिए प्रभावित व्यक्तियों को ऐसा वातावरण प्रदान करना अनिवार्य है, जिसमें वे बात कर सकें। उन्होंने कहा कि अधिकांश मामले प्रभावित व्यक्ति और उनके आसपास के लोगों के बीच संचार की कमी के कारण होते हैं।

एकेके/एसजीके

Created On :   10 Sep 2020 5:30 PM GMT

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