फेसबुक सभी के लिए फोटो, वीडियो मैचिंग तकनीक उपलब्ध कराएगा

Facebook will provide photo, video matching technology for everyone
फेसबुक सभी के लिए फोटो, वीडियो मैचिंग तकनीक उपलब्ध कराएगा
फेसबुक सभी के लिए फोटो, वीडियो मैचिंग तकनीक उपलब्ध कराएगा
हाईलाइट
  • फेसबुक की इन दो तकनीकों से पायरेटेड या नकली वीडियो व फोटो की पहचान की जा सकेगी
  • फेसबुक ने अपने फोटो और वीडियो मैचिंग तकनीकों को लोगों के लिए ओपेन-सोर्स किया है
  • जिससे इसे सभी इस्तेमाल कर सकेंऔर इसकी मदद से यूजर्स हानिकारक सामग्रियों की पहचान कर सकें जैसे कि बाल शोषण
  • आतंकवादी प्रचार और ग्राफिक हिंसा
सैन फ्रांसिस्को, 2 अगस्त (आईएएनएस)। फेसबुक ने अपने फोटो और वीडियो मैचिंग तकनीकों को लोगों के लिए ओपेन-सोर्स किया है, जिससे इसे सभी इस्तेमाल कर सकेंऔर इसकी मदद से यूजर्स हानिकारक सामग्रियों की पहचान कर सकें जैसे कि बाल शोषण, आतंकवादी प्रचार और ग्राफिक हिंसा।

फेसबुक की इन दो तकनीकों से पायरेटेड या नकली वीडियो व फोटो की पहचान की जा सकेगी।

फेसबुक पर इंटीग्रिटी के उपाध्यक्ष गाय रोसेन ने गुरुवार को एक बयान में कहा, ये प्रणाली गिटहब पर उपलब्ध होंगे ताकि हमारे इंडस्ट्री पाटनर्स, छोटे डेवलपर्स और गैर लाभकारी सभी अधिक आसानी से अपमानजक तथ्यों की पहचान कर सकें और इस तरह के सामग्रियों के हैशेज या डिजिटल फिंगरप्रिन्ट्स को साझा कर सकें।

ग्लोबल हेड ऑफ सेफ्टी एंटीगॉन डेविस ने कहा, उन लोगों के लिए जो पहले से ही अपनी या किसी और कंटेंट मैचिंग तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके लिए यह तकनीक सुरक्षा की एक और परत है जो हैश-शेयरिंग सिस्टम को एक-दूसरे से बात करने की अनुमति देता है और सिस्टम को और भी अधिक शक्तिशाली बनाता है।

अमेरिका में नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (एनसीएमईसी) के अध्यक्ष और सीईओ जॉन क्लार्क के अनुसार, केवल एक साल में उन्होंने टेक इंडस्ट्री द्वारा साइबर टिपलाइन को रिपोर्ट किए गए बाल यौन शोषण वीडियो की संख्या में 541 प्रतिशत की वृद्धि देखी।

क्लार्क ने कहा, हम निश्चित है कि इस ओपेन-सोर्स तकनीक के फेसबुक के उदार योगदान से बाल यौन शोषण पीड़ितों की पहचान और उनका बचाव अधिक से अधिक करने में मदद मिलेगी।

दस साल पहले बाल शोषण से लड़ने के लिए माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित की गई तकनीक फोटो डीएनए और हाल ही में गूगल द्वारा कंटेंट सेफ्टी एपीआई के लॉन्च के साथ अब फेसबुक की यह घोषणा एक सुरक्षित इंटरनेट के निर्माण के लिए उद्योग व्यापी प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है।

पीडीक्यू और टीएमके+पीडीक्यूएफ के नाम से जानी जाने वाली ये तकनीक हानिकारक सामग्रियों की पहचान करने के लिए फेसबुक पर उपयोग किए जाने वाले टूल्स का एक हिस्सा है।

ये तकनीक शॉर्ट डिजिटल हैशेज के रूप में फाइल्स को संग्रहित करने का एक प्रभावी तरीका है जिससे यह पहचाना जा सकेगा कि दो फाइलें समान या एक जैसी है या नहीं और ऐसा करने के लिए असली वीडियो या तस्वीर की जरूरत भी नहीं है।

फेसबुक ने कहा है कि अन्य कंपनियों और गैर लाभकारियों संग हैशेज को और से आसानी से साझा किया जा सकेगा।

--आईएएनएस

Created On :   2 Aug 2019 3:31 PM GMT

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