प्रवासियों को मुंबई से उप्र पहुंचाने के लिए वकील जमा करा सकते हैं 25 लाख : सुप्रीम कोर्ट

Lawyer can deposit 25 lakhs to migrate migrants from Mumbai: Supreme court
प्रवासियों को मुंबई से उप्र पहुंचाने के लिए वकील जमा करा सकते हैं 25 लाख : सुप्रीम कोर्ट
प्रवासियों को मुंबई से उप्र पहुंचाने के लिए वकील जमा करा सकते हैं 25 लाख : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में फंसे उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को वापस उनके घर भेजने के लिए 25 लाख रुपये की मदद की पेशकश करने वाले मुंबई के वकील को रजिस्ट्री के साथ रकम जमा करने की इजाजत दी है।

न्यायाधीश अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एम. आर. शाह की पीठ ने गुरुवार को अधिवक्ता सगीर अहमद खान से कहा कि वे एक सप्ताह के अंदर महासचिव के नाम रकम रजिस्ट्री के साथ जमा करें।

सुनवाई के दौरान, खान ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के लिए उनकी चिंता वास्तविक है और वह 25 लाख रुपये जमा करने के लिए तैयार हैं, जिसका उपयोग उत्तर प्रदेश में उनके मूल स्थानों तक पहुंचाने की व्यवस्था करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस राशि का इस्तेमाल मुंबई से बस्ती और उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर तक ट्रेन के किराए के रूप में किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता ने पीएम केयर फंड या राज्य सरकार के राहत कोष में राशि जमा करने को लेकर आशंका व्यक्त की थी और कहा था कि वह पीएम या सीएम फंड में पैसे नहीं डालना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि उनके पैसे का सीधे तौर पर इस्तेमाल, उनके गृह जिला के प्रवासी श्रमिक जो मुंबई में फंसे हैं उन्हें जल्दी से जल्दी घर पहुंचाने में किया जाए।

अदालत ने इस मामले को 12 जून को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

खान ने एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एजाज मकबूल के माध्यम से दलील दी थी। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता खुद संत कबीर नगर से प्रवासी हैं और उन प्रवासियों की दुर्दशा से भली-भांति वाकिफ हैं, जो कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए देशव्यापी बंद के बीच परेशानी झेल रहे हैं। ये रुपये बस्ती और संत कबीर नगर जिलों के प्रवासियों की यात्रा की लागत के तौर पर जमा की जाएगी, जो किसी की जाति, पंथ और धर्म को तय किए बगैर खर्च किए जाएंगे।

खान ने दलील में कहा कि उन्होंने इससे पहले केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से संपर्क करके प्रवासियों की मदद करने की कोशिश की, मगर प्रवासियों की दुर्दशा को दूर करने में संबंधित अधिकारियों के असफल रहने के बाद ही उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया, क्योंकि मुंबई में प्रवासी श्रमिक, जिनके पास बंद के कारण आजीविका का कोई स्रोत नहीं है, वह मुंबई छोड़ने के लिए विवश हैं।

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए राष्ट्रव्यापी बंद के बाद कई लोग प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए सामने आए हैं। फिल्म अभिनेता सोनू सूद इन दिनों लोगों के मसीहा बनकर सामने आए हैं। उन्होंने अब तक हजारों मजदूरों और छात्रों को उनके घर पहुंचाने में मदद की है।

Created On :   4 Jun 2020 2:31 PM GMT

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