लॉकडाउन के कारण तेलंगाना में दवा उत्पादन प्रभावित
हैदराबाद, 8 मई (आईएएनएस)। लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बावजूद, तेलंगाना में थोक दवा निर्माता अपनी क्षमता का केवल 50 प्रतिशत ही दवा उत्पादन कर रहे हैं, जिससे कोविड-19 के रोगियों के इलाज के लिए एंटी-वायरल दवाओं सहित कई जरूरी दवाओं की मांग को पूरा करने में दिक्कत हो रही है।
मार्च में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से, हैदराबाद और आसपास के जिलों में ज्यादातर दवा निर्माता कंपनियां अपनी इकाइयों को घरेलू और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए पूरी क्षमता के साथ संचालित नहीं कर पाई हैं।
फार्मा कंपनियां इन जिलों को कवर करने वाले चार कमिश्नरेट में पुलिस के बीच उचित समन्वय की कमी का रोना रो रही हैं। अपने कर्मचारियों को ले जाने वाली बसों की लगातार जांच और सामग्री ले जाने वाले वाहनों की जब्ती, लॉकडाउन अवधि के दौरान आवश्यक दवाओं की उचित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पूरी क्षमता से संचालित करने के उनके प्रयासों में बाधा उत्पन्न कर रही है।
बल्क ड्रग मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (बीडीएमए) के कार्यकारी निदेशक पी. ईश्वर रेड्डी ने कहा, हमारे कर्मचारियों के आने जाने की समस्या और मैटेरियल की कमी के कारण हम क्षमता के मुकाबले अपनी इकाइयों का 50 प्रतिशत ही संचालन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, अधिकांश समय पुलिस हमारी बसों और ट्रकों को पास दिखाने के बावजूद रोकती है। चार कमश्निरेट में पुलिस के बीच बहुत समन्वय नहीं है। एक कमिश्नरेट में पुलिस कर्मियों का कहना है कि दूसरे कमिश्नरटे द्वारा जारी किया गया पास वैध नहीं है। मैं सभी चार कमिश्नरेट का पास नहीं ले सकता।
सामग्री ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही में व्यवधान के कारण भी उत्पादन पर असर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि हमारे कच्चे माल और विभिन्न रसायनों को बाहर से आना पड़ता है। परिवहन सुचारु नहीं है।
भारत में कुल थोक दवा उत्पादन का 40 प्रतिशत हिस्सा तेलंगाना में होता है। इसे भारत की थोक दवा राजधानी के रूप में जाना जाता है।
थोक दवा उत्पादन मुख्य रूप से हैदराबाद और आसपास के जिलों रंगारेड्डी, मेडचल और संगारेड्डी में होता है।
अधिकारियों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कंपनियों ने कोरोना रोगियों के इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में एजिथ्रोमाइसिन और अन्य एंटी-वायरल दवाओं की सफलतापूर्वक आपूर्ति की।
तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हाल ही में फार्मा कंपनियों को कोरोना के खिलाफ हाइड्रॉक्साइक्लोरोक्वीन या अन्य जीवनरक्षक दवाओं का उत्पादन और संचालन करने के लिए उद्योगों को अपनी सहमति दी थी।
हैदराबाद और आसपास के जिलों में 800 से अधिक लाइफसाइंसेज कंपनियों के साथ सबसे बड़ा फार्मास्युटिकल हब है, जिसमें लगभग 1.20 लाख लोग कार्यरत हैं।
पूरी तरह से नई स्थिति का सामना करते हुए, कंपनियां उत्पादन जारी रखते हुए कर्मचारियों के स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामाजिक दूरी जैसी सभी सावधानियां बरत रही हैं।
उदाहरण के लिए, अग्रणी वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक को अपने कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त बसों की व्यवस्था करनी पड़ीं।
भारत बायोटेक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा एला ने कहा, 40-50 लोगों के बैठने की क्षमता वाली एक बस आज अधिकारियों द्वारा जारी किए गए सामाजिक दूरी दिशानिर्देशों के कारण केवल 20 लोगों को ले जा रही है।
जैसा कि कंपनी जीनोम घाटी में स्थित है, कर्मचारियों को हर दिन 80-100 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।
थोक दवा कंपनियां निर्यात के लिए भी आपूर्ति बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं। बुधवार को रूस के एयरोफ्लोट एयरलाइंस का एक विमान 50 टन दवाइयों और टीके के साथ हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से मॉस्को के लिए रवाना हुआ।
Created On :   8 May 2020 9:30 PM IST