15,000 से अधिक लोगों को मुस्कराहट देने वाला इंसान अब नहीं रहा

No more than 15,000 people smile
15,000 से अधिक लोगों को मुस्कराहट देने वाला इंसान अब नहीं रहा
15,000 से अधिक लोगों को मुस्कराहट देने वाला इंसान अब नहीं रहा

तिरूवनंतपुरम, 27 मई (आईएएनएस)। कटे होंठ व तालू की सर्जरी कर 15,000 से अधिक लोगों की जिंदगी में खुशियां लौटाने वाले और उन्हें उनकी मुस्कान वापस दिलाने वाले व्यक्ति ने आज दम तोड़ दिया। अस्पताल के एक कर्मी ने इसकी सूचना दी।

नब्बे वर्षीय हिरजी एस.अदेनवाला त्रिशूर के जुबली मिशन अस्पताल के चार्ल्स पिंटो क्लेक्ट सेंटर के निदेशक थे।

पारसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले हिरजी त्रिशूर के इसी अस्पताल संग जुड़े हुए थे। बुधवार की सुबह कोवई में स्थित अपने बेटी के घर पर उन्होंने आखिरी सांस लीं।

आईएएनएस से बात करते हुए वरिष्ठ कैथोलिक पादरी और अस्पताल के निदेशक फ्रांसिस पल्लीकुन्नाथ ने कहा कि वह फिलहाल इस महान शख्स के अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए कोवई के रास्ते में हैं।

उन्होंने कहा, मैं अंतिम संस्कार के लिए समय पर पहुंचने की उम्मीद करता हूं और चूंकि मैं अंतरराज्यीय सफर कर रहा हूं, इसलिए इसमें शामिल होने के बाद वापस लौटकर मैं दो हफ्ते तक आईसोलेशन में रहूंगा।

उन्होंने आगे कहा, यह महान शख्स सन 1958 में संयोगवश हमारे अस्पताल में आ पहुंचे। अपना मेडिसिन खत्म करने के बाद वह मिशनरी काम करना चाहते थे। शादी के बाद अपनी पत्नी के साथ अफ्रीका जाकर वह समाज सेवा से जुड़े कार्य करना चाहते थे, लेकिन उनके माता-पिता इसके लिए तैयार नहीं हुए और कुछ इस तरह से वह हमारे इस छोटे से अस्पताल संग जुड़ गए।

पल्लीकुन्नाथ आगे कहते हैं, 1958 में उन्होंने अपने इस सफर की शुरुआत की और बाद में उन्होंने एफआरसीएस की डिग्री भी हासिल की। साल 2019 के दिसंबर में उन्होंने आखिरी बार क्लेफ्ट सर्जरी किया। साल 2013 से वह कोवई में अपनी बेटी के यहां रहते थे। फरवरी में आखिरी बार उन्होंने यहां अपना काम किया और इसके बाद वह फिर नहीं आए।

पुरानी बातों को याद करते हुए उन्होंने कहा, एक बार उनसे मुलाकात होने के बाद कोई उन्हें नहीं भूलता था क्योंकि वह बेहद जमीन से जुड़े हुए इंसान थे और उनमें बिल्कुल भी घमंड नहीं था।

क्लेफ्ट सर्जरी के लिए उन्हें जोसेफ जी. मेकार्थी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। क्लेफ्ट सर्जरी के क्षेत्र में उन्हें अकसर आदर्श कहकर बुलाया जाता था।

Created On :   27 May 2020 7:01 PM IST

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