राहुल से स्वीडिश डॉक्टर ने कहा, लॉकडाउन से बाहर आने की रणनीति पर किसी देश ने नहीं सोचा
नई दिल्ली, 27 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोनावायरस महामारी पर अपनी बातचीत की सीरीज को जारी रखते हुए जानेमाने स्वीडिश डॉक्टर व स्टॉकहोम के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर एमेरिटस जोहान गिसेके से बात की। गिसेके ने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा करने से पहले इससे बाहर निकलने की रणनीति के बारे में किसी देश ने नहीं सोचा।
जोहान गिसेके ने कहा, यूरोप के जिन सभी देशों ने एक या दो महीने पहले लॉकडाउन लगाया, उन्होंने उस समय इससे बाहर निकलने की रणनीति के बारे में नहीं सोचा।
उन्होंने कहा कि आप बेहद सख्त लॉकडाउन के अच्छे के बजाए ज्यादा नुकसान देखेंगे।
गिसेके ने कहा, हर एक देश ने कहा था कि हम इस लॉकडाउन को लगाएंगे, हम इस स्कूल को बंद कर देंगे, हम इस सीमा को बंद कर देंगे, हम रेस्तरां को बंद कर देंगे। मुझे नहीं लगता कि उस समय उन्होंने इस बारे में सोचा होगा कि इससे कैसे बाहर आया जाएगा।
उन्होंने कहा, अब हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है कि हम इससे कैसे बाहर निकले।
उन्होंने इससे चरणबद्ध तरीके से बाहर निकलना सुझाया। उन्होंने कहा, भारत में एक के बाद एक प्रतिबंध हटाना चाहिए, आप एक प्रतिबंध हटाएं, एक में नरमी लाएं।
गिसेके ने कहा, 2-3 सप्ताह तक प्रतीक्षा करें और देखें कि क्या होता है। अगर बीमारी का प्रसार अधिक है, तो एक कदम पीछे हटें और अन्य तरह का प्रतिबंध लगाने का प्रयास करें।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि लॉकडाउन को खत्म करने में महीनों लगेंगे। लेकिन आपको एक बार में एक प्रतिबंध लगाना चाहिए और देखना होगा कि क्या होता है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि यह एक मुश्किल संतुलन है। हमने इसे स्वीडन में जिस तरह से किया है उसका मुख्य मकसद बुजुर्गो और कमजोरों को सुरक्षित रखना है। उन्हें बीमारी से बचाना चाहिए, बाकी चीजें बाद में आती हैं।
उन्होंने कहा कि हमने स्वीडन को पूरी तरह से बंद नहीं किया है। कई कार्यस्थल खुले हैं। हमारे लिए प्रतिबंध नहीं हैं। आप बाहर जाकर लोगों से मिल सकते हैं।
गिसेके ने भारत के बारे में सुझाव देते हुए कहा, अगर आपने एक कड़ा लॉकडाउन लगाया है तो आप बहुत जल्दी अपनी अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देंगे। मुझे लगता है कि लॉकडाउन को छोड़ना बेहतर है, बुजुर्गो और कमजोरों का ख्याल रखें और अन्य लोगों को संक्रमित होने दें। अधिकांश लोग बीमार भी नहीं होंगे। उनका ध्यान भी नहीं जाएगा कि वे संक्रमित हैं।
Created On :   27 May 2020 3:01 PM IST