सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को प्रवासियों को वापस भेजने के लिए 15 दिन समय देने पर विचार

Supreme Court considers giving 15 days time for repatriation of migrants to states
सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को प्रवासियों को वापस भेजने के लिए 15 दिन समय देने पर विचार
सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को प्रवासियों को वापस भेजने के लिए 15 दिन समय देने पर विचार

नई दिल्ली, 5 जून (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को उनके मूल स्थानों पर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय देने पर विचार कर रहा है।

न्यायाधीश अशोक भूषण, न्यायाधीश एस. के. कौल और न्यायाधीश एम. आर. शाह की पीठ ने प्रवासी कामगारों की समस्याओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों के वकीलों को बताया कि वे सभी प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाने के लिए 15 दिनों का समय देने पर विचार कर रहे हैं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि अब तक प्रवासी श्रमिकों के परिवहन के लिए 4,000 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं। विभिन्न राज्य सरकारों के वकील शीर्ष अदालत के समक्ष उपस्थित हुए और प्रवासी श्रमिकों के परिवहन पर अपनी संबंधित योजनाएं प्रस्तुत कीं।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में अभी भी लगभग दो लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनमें से अधिकांश वापस जाने के इच्छुक नहीं हैं।

जैन ने कहा, 10,000 से भी कम मजदूरों ने वापस जाने की इच्छा व्यक्त की है।

उत्तर प्रदेश की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. एस. नरसिम्हा ने कहा कि किसी भी समय पर राज्य ने मजदूरों से कोई शुल्क नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि इसके बजाए प्रवासियों को वापस भेजना राज्य का दायित्व है और लगभग 1.35 लाख लोगों को वापस भेजने के लिए 104 विशेष ट्रेनों को संचालित किया गया है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली की सीमाओं से 5,50,000 मजदूरों को उत्तर प्रदेश वापस भेजा गया और विशेष ट्रेनों के माध्यम से 21.69 लाख श्रमिकों को वापस भेजा गया है।

Created On :   5 Jun 2020 3:30 PM GMT

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