चंद्रयान 3 के लैंडिंग प्वाइंट को 'शिवशक्ति' नाम देने का बाद उठ रहे सवाल, आसान भाषा में जानिए चांद की सतह पर नाम देने का किसे है अधिकार और कैसे होता है फाइनल?

चंद्रयान 3 के लैंडिंग प्वाइंट को शिवशक्ति नाम देने का बाद उठ रहे सवाल, आसान भाषा में जानिए चांद की सतह पर नाम देने का किसे है अधिकार और कैसे होता है फाइनल?
  • चंद्रयान-3 की चांद पर हो चुकी है सॉफ्ट लैंडिग
  • लैंडिंग प्वाइंट को 'शिवशक्ति' के नाम से जाना जाएगा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग चांद पर हो चुकी है। इस उपलब्धि को देख दुनिया भारत को नतमस्तक हो कर सलाम कर रही है। चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के जिस स्थान पर उतरा है उसका नाम 'शिवशक्ति' दिया गया है। बीते शनिवर यानी 26 अगस्त को पीएम मोदी ने बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय में इस बात की घोषणा की थी। साथ ही पीएम ने यह भी घोषणा की थी कि चंद्रयान-2, चांद की जिस सतह पर उतरा था जो हार्ड लैंडिंग की वजह से क्रैश हो गया था। अब उस स्थान का नाम 'तिरंगा प्वाइंट' के नाम से जाना जाएगा। पीएम मोदी ने ये भी कहा था कि, 23 अगस्त को अब भारत 'नेशनल स्पेस डे' के तौर पर मनाएगा। इसी दिन इसरो ने चांद पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराई थी। पीएम के इस नामकरण के बाद से ही बहस शुरू हो गई है कि आखिर लाखों किलोमीटर दूर चांद पर नामकरण कौन करता है? लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि ऐसा करने का अधिकार किसके पास है?

इसरो के मुख्यालय में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था "जिस स्थान पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा है, उस स्थान को 'शिवशक्ति' के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने आगे कहा था, 23 अगस्त को जब भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया, उस दिन को अब राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा।"

कौन करता है नामकरण?

हिंदुस्तान समाचार ने आधिकारिक वेबसाइट का हवाला देते हुए बताया कि, अंतरिक्ष में स्थानों का नाम देने का काम इंटरनेशलन एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन यानी आईएयू खगोलीय पिंडो या सेलेस्टियल ऑब्जेक्ट्स द्वारा किया जाता है। जिसकी स्थापना साल 1919 में हुई थी। इस यूनियन में एग्जिक्यूटिव कमेटी, डिविजन, कमिशन और वर्किंग ग्रुप्स शामिल होते हैं। इसका हिस्सा (आईएयू) दुनियाभर के कई बड़े खगोलविद है।

नामकरण को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जब किसी ग्रह या सैटेलाइट की पहली तस्वीरें सामने आती हैं तो विशेषताओं के नामकरण के लिए नई थीम चुनी जाती है और उसके खासियतों के नामों का प्रस्ताव दिया जाता है, जो खास तौर पर इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन द्वारा ही किया जाता है।

नियम प्रकियाओं के बाद ही मान्यता

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सभी नियमों और प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद आईएयू की डब्लयूजीपीएसएन यानी वर्किंग ग्रुप फॉर प्लेनिटेरी सिस्टम नॉमेक्लेचर इन मामलों में नामों पर मुहर लगाती है। नामों पर मुहर लगने के बाद डब्लयूजीपीएसएन के सदस्य वोट करते हैं और प्रस्तावित नामों को आधिकारिक रूप से मान्यता दे देते हैं। मान्यता मिलने के बाद इसका उपयोग स्पेस एजेंसी नक्शो या प्रकाशनों के लिए करने लगती हैं। फिलहाल इस एजेंसी से इन नामों की मान्यता की कोई पुष्टि नहीं की गई है।

Created On :   28 Aug 2023 8:01 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story