यवतमाल के 493 गांवों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा बढ़ी, हाई कोर्ट ने 3 मई तक मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क, नागपुर। यवतमाल जिले के गांवों में भू-जल स्तर गिरने से पानी में फ्लोराइड की मात्रा बढ़ी है। इससे प्रभावित 493 गावों में फ्लोरोसिस संबंधी बीमारी से लोग पीड़ित हो रहे हैं। इस सम्बंध में एक याचिका बांबे हाई कोर्ट में दाखिल की गई है। याचिका में याचिकाकर्ता देवानंद सिंग पवार ने बताया है कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा बढ़ने के कारण यहां के नागरिक हड्डियां कमजोर होना, दांत खराब होने साथ ही किडनी के रोग से बीमार हो रहे हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि पिछले 2 सालों में पानी में फ्लोराइड की मात्रा बढ़ने से 16 गांवों के 14 नागरिकों की मौत हुई है।
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याचिका की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस भूषण धर्माधिकारी व जस्टिस अरुण उपाध्ये की बेंच ने यवतमाल के जिलाधिकारी, मुख्यकार्यकारी अधिकारी, जल विभाग आदि 11 प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 3 मई तक अपने जवाब दाखिल करने को कहा है।
याचिकाकर्ता के वकील अनिल किलोर ने कोर्ट में दी यह दलीलें :
- संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत स्वच्छ जलापूर्ति नागरिकों के मूलभूत अधिकारों में से एक है।
- 2013 में केंद्र सरकार के जलसंसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पानी में फ्लोराइड की मात्रा बढ़ने से फ्लोरोसिस बीमारी होती है।
- इससे हड्डियां कमजोर होना, दांत खराब होना तथा किडनी संबंधी बीमारियों का उल्लेख है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने यह बात कही थी।
- 2017 में किए गए भू-जल सर्वेक्षण की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि महाराष्ट्र में कई स्थानों पर फ्लोराइडयुक्त पानी पाया गया है।
- इसमें यवतमाल जिले के 493 गांवों का उल्लेख है। पिछले 2 साल में 16 गावों के 14 नागरिकों की मौत किडनी के रोगों के चलते हुई है।
Created On :   28 April 2018 9:26 PM IST