आधार पर प्रेजेंटेशन देने के लिए सरकार ने मांगी इजाजत, CJI ने कहा- बताते हैं

Centre seeks Supreme Court nod for PowerPoint presentation on Aadhaar
आधार पर प्रेजेंटेशन देने के लिए सरकार ने मांगी इजाजत, CJI ने कहा- बताते हैं
आधार पर प्रेजेंटेशन देने के लिए सरकार ने मांगी इजाजत, CJI ने कहा- बताते हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आधार कार्ड की वैलिडिटी पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आधार मामले पर यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के CEO डॉक्टर अजय भूषण पांडे को पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन करने की इजाजत दी जाए। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल की इस बात को मंजूरी तो दे दी, हालांकि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने ये भी कहा कि वो इस बारे में बेंच के बाकी जजों से भी पूछकर प्रेजेंटेशन की तारीख तय करेंगे। 

आधार के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में आधार केस की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आग्रह किया कि आधार पर प्रेजेंटेशन देने के लिए UIDAI के CEO को इजाजत दी जाए। जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी। अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि "कोर्ट में 2 स्क्रीन्स लगाई जाएंगी, जिसके जरिए UIDAI के CEO डॉ. अजय भूषण पांडे आधार को लेकर पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन देंगे और आधार के बारे में सारी जानकारी देंगे।" अटॉर्नी जनरल ने कहा कि "प्रेजेंटेशन के जरिए डॉ. अजय 4 घंटे की बहस के बजाय एक घंटे में ही समझा सकते हैं।" उन्होंने बताया कि "आधार को लेकर कोर्ट में एक 4 मिनट का एक वीडियो भी दिखाया जाएगा, जिसमें बताया जाएगा कि आधार में डेटा कितनी सुरक्षित है। आधार से गरीबों को क्या फायदा हुआ है और इससे भ्रष्टाचार पर लगाम कैसे लगी है?"

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गरीबों को आधार से कोई शिकायत नहीं

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इशारों-इशारों में ये भी कह दिया कि आधार से गरीबों को कोई शिकायत नहीं है। दरअसल, 5 जजों की बेंच में से एक जज जस्टिस एके सीकरी ने पूछा कि पिटीशनर्स ने कोर्ट में कई एफिडेविट फाइल किए हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि आधार होने के बावजूद उन्हें सरकारी योजनाओं में फायदा नहीं दिया गया। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि "क्या कभी इस मामले में कोर्ट ने किसी गरीब की शिकायत सुनी है? ये सिर्फ NGO ही कर रहे हैं।"

आधार लिंकिंग की डेडलाइन अनिश्चितकालीन बढ़ी

इससे पहले 13 मार्च को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आधार लिंकिंग की डेडलाइन को अनिश्चितकालीन समय तक बढ़ा दिया था। कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि जब तक आधार की वैलिडिटी पर कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंकिंग की डेडलाइन को बढ़ाया जाता है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि "मोबाइल, बैंक, पासपोर्ट जैसी सेवाओं के लिए आधार फिलहाल जरूरी नहीं है। हालांकि कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार जरूरी है।" बता दें कि इससे पहले 15 दिसंबर को सरकार ने आधार लिंकिंग की डेडलाइन को 31 दिसंबर 2017 से बढ़ाकर 31 मार्च 2018 तक कर दिया था। 

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कौन कर रहा है इसकी सुनवाई? 

आधार की वैलिडिटी को चुनौती देने वाली पिटीशंस पर सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा की अगुवाई में 5 जजों की बेंच बनाई गई है। इस बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

क्यों हो रही है आधार पर सुनवाई? 

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में आधार की अनिवार्यता के खिलाफ सुनवाई की गई थी, जिसपर फैसला देते हुए कोर्ट ने इसे संविधान के तहत निजता का अधिकार माना था। कोर्ट ने कहा था कि ये व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। उस वक्त पिटीशनर्स का कहना था कि आधार को हर चीज से लिंक कराना निजता के अधिकार (राइट टू प्राइवेसी) का उल्लंघन है। पिटीशन में कहा गया था कि इससे संविधान के आर्टिकल 14, 19 और 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की बेंच ने इसे निजता का अधिकार माना था। 

Created On :   21 March 2018 1:40 PM IST

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