किसी भी लोकतंत्र के लिए प्रेस को नियंत्रित करना घातक : सॉलिसिटर जनरल
- किसी भी लोकतंत्र के लिए प्रेस को नियंत्रित करना घातक : सॉलिसिटर जनरल
नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस) सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पत्रकार की स्वतंत्रता सर्वोच्च है और किसी भी लोकतंत्र के लिए प्रेस को नियंत्रित करना घातक होगा।
मेहता ने सुदर्शन टीवी के एक कार्यक्रम यूपीएससी जिहाद के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर चल रही सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
इस टीवी कार्यक्रम के प्रोमो में दावा किया गया था कि सरकारी सेवा में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की घुसपैठ की साजिश का पर्दाफाश किया जा रहा है।
न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और के. एम. जोसेफ की पीठ ने सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए कहा कि मीडिया में स्व नियंत्रण की व्यवस्था होनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मेहता से कहा कि क्या यह (टीवी शो का हवाला देते हुए) एक मुक्त समाज में सहन किया जा सकता है और स्व-नियंत्रण को आगे रखा जा सकता है या नहीं?
मेहता ने जवाब दिया कि प्रेस को नियंत्रित करना किसी भी लोकतंत्र के लिए घातक होगा। इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या यह वास्तव में अनुच्छेद 19 (1) (ए) के अंतर्गत आता है।
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश जोसेफ ने कहा कि कोई भी स्वतंत्रता परम सिद्धांत नहीं है, पत्रकारिता की स्वतंत्रता भी नहीं है। मेहता ने मीडिया प्लेटफॉर्म के स्वामित्व पर जवाब दिया, जो अक्सर पोर्टल्स पर व्यक्त विचारों को दर्शाता है। लंच के बाद की सुनवाई में मेहता ने दलील दी कि ब्लॉग सहित विभिन्न मंच हैं, जो सभी प्रकार के विचारों पर मंथन करते हैं।
न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया घरानों को अलग-अलग ब्लॉग से अलग किया जाना चाहिए। मेहता ने दलील दी कि कुछ चैनल कुछ समय पहले हिंदू आतंकवाद की भावना को बढ़ा रहे थे। उन्होंने कहा, प्रश्न यह है कि सामग्री को किस सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है? न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अधिनियम कहता है कि सांप्रदायिक रिपोर्टिग नहीं की जा सकती।
सुनवाई के अंत में मेहता ने यह भी दलील दी कि उल्लंघन से निपटने के लिए वैधानिक प्राधिकरण भी हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि मेहता ने प्रस्तुत किया है कि व्यापक मुद्दों को केवल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्वाइंट से नहीं, बल्कि अन्य मीडिया से भी संबोधित किया जाना चाहिए, जिसमें आपत्तिजनक सामग्री साझा की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के मुस्लिम समुदाय के लोगों के सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करने से जुड़े कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह एक उन्माद पैदा करने वाला कार्यक्रम है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हम एक पांच सदस्य कमिटी के गठन करने के पक्ष में है, जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कुछ निश्चित मानक तय कर सके।
पीठ ने कहा, हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक रूप से विभाजनकारी हो।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने शो पर पूर्व-प्रसारण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था और केंद्र को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था कि कार्यक्रम की सामग्री सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाली है।
एकेके/एएनएम
Created On :   15 Sept 2020 7:31 PM IST