नये कृषि कानून के विरोध में किसानों का प्रदर्शन जारी, अपने रुख पर कायम सरकार

Farmers protest against the new agricultural law, government continues on its stand
नये कृषि कानून के विरोध में किसानों का प्रदर्शन जारी, अपने रुख पर कायम सरकार
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  • नये कृषि कानून के विरोध में किसानों का प्रदर्शन जारी
  • अपने रुख पर कायम सरकार

नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। नये कृषि कानून के विरोध में सड़कों पर उतरे किसान संगठनों का प्रदर्शन शनिवार को तीसरे दिन जारी रहा। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे पंजाब और हरियाणा के किसानों के साथ उत्तर प्रदेश व अन्य प्रांतों के किसान भी जुड़ गए हैं। उधर, केंद्र सरकार अपने रुख पर कायम है। सरकार ने किसानों से आंदोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत के जरिए मसले का समाधान करने की अपील की है।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) समेत कई अन्य संगठनों से जुड़े किसान नेता दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाए हुए हैं। उनके साथ हजारों की तादाद में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा में भाकियू के मीडिया प्रभारी राकेश बेंस ने बताया कि शनिवार की रात किसान धरना स्थल पर ही वहीं डटे रहेंगे और रविवार को किसान संगठनों के नेताओं के बीच एक बैठक होगी, जिसमें प्रदर्शन को लेकर आगे की रणनीति तय की जाएगी।

उन्होंने बताया कि पहले ही पंजाब और हरियाणा के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अब उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के साथ-साथ ओडिशा के लोग भी प्रदर्शन में जुट गए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत की अगुवाई में किसानों का एक दल शनिवार को दिल्ली सीमा पर पहुंचा। इस प्रकार, किसानों के आंदोलन का दायरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है।

इससे पहले भाकियू के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि अब यह सिर्फ पंजाब के किसानों का आंदोलन नहीं है, बल्कि इसमें पूरे देश के किसान शामिल हैं, लेकिन आंदोलन की रणनीति वही होगी जो पंजाब के किसान संगठनों के नेता तय करेंगे।

नये कृषि कानून को लेकर सबसे ज्यादा विरोध पंजाब में हो रहा है, इसलिए इस प्रदर्शन की अगुवाई भी पंजाब के ही किसान नेता कर रहे हैं। पंजाब के करीब 30 किसान संगठनों के लोग विरोध-प्रदर्शन में जुटे हैं।

उधर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को फिर किसानों से विरोध-प्रदर्शन का रास्ता छोड़कर बातचीत के लिए आने की अपील की। उन्होंने कहा कि तीन दिसंबर को किसान नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया है और उन्हें आंदोलन बंद कर किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आना चाहिए।

किसान नेता सरकार से नये कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नये कृषि कानून से किसानों के बजाय कॉरपोरेट को फायदा होगा। उन्हें नये कानून के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद बंद होने की आशंका है। हालांकि, सरकार ने उनकी इस आशंका को निराधार बताया है, क्योंकि एमएसपी पर फसलों की खरीद अब पहले से ज्यादा की जा रही है। किसान नेता सरकार से एमएसपी की गारंटी देने के लिए नये कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।

भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि किसान एमएसपी की गारंटी चाहते हैं, साथ ही नये कानून में कांट्रैक्ट फार्मिग के मसले को लेकर स्पष्टता नहीं है, इसलिए किसान उसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नये कृषि कानूनों से किसानों को कोई लाभ नहीं है, बल्कि इन कानूनों का लाभ कॉरपारेट को मिलेगा। इसलिए वे इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

पीएमजे/एएनएम

Created On :   28 Nov 2020 4:31 PM GMT

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