CJI के खिलाफ 'महाभियोग प्रस्ताव' आज नहीं, हंगामे के बाद राज्यसभा स्थगित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा के खिलाफ सोमवार को राज्यसभा में "महाभियोग प्रस्ताव" लाए जाने की बात कही जा रही थी, लेकिन सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। कावेरी जल बोर्ड के गठन की मांग पर सदन में सोमवार को AIADMK सांसदों ने जमकर हंगामा किया, जिसके बाद राज्यसभा को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। अब मंगलवार को ये प्रस्ताव लाया जा सकता है। CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए जरूरी 50 सांसदों के हस्ताक्षरों का दावा नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने किया है। दरअसल, 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के 4 सीनियर जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर कई आरोप लगाए थे, जिसके बाद ही अब कांग्रेस समेत कई पार्टियां CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी की है। हालांकि इस बात की उम्मीद काफी कम है कि राज्यसभा में इस प्रस्ताव को सभापति को मंजूरी मिलेगी।
50 सांसदों के हो चुके हैं हस्ताक्षर
बता दें कि पिछले हफ्ते NCP नेता और सांसद माजिद मेनन ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात कही थी। उन्होंने दावा किया था कि इसके लिए कई पार्टियों के नेताओं से बात हो गई है और नोटिस पर सांसदों के हस्ताक्षर लेने का काम भी शुरू हो गय है। उनके बाद RJD सांसद मनोज झा ने दावा किया था कि प्रस्ताव लाने के लिए जरूरी 50 सांसदों के हस्ताक्षर ले लिए गए हैं और सोमवार को इसे राज्यसभा में लाए जाने की बात कही जा रही थी। बताया जा रहा है कि प्रस्ताव के नोटिस पर कांग्रेस के भी कई सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
कांग्रेस का रूख साफ नही?
बताया जा रहा है कि CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस के अंदर ही अभी एक राय नहीं है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के कई नेता प्रस्ताव के समर्थन में हैं, जबकि कई नेता इसको लेकर अभी तक अपनी कोई राय नहीं दे पाए हैं। इसके पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं। इसके पीछे बताया जा रहा है कि अगर कांग्रेस इसका खुले तौर पर समर्थन करती है, तो इसका सियासी नुकसान हो सकता है। दरअसल, CJI दीपक मिश्रा अयोध्या केस की सुनवाई कर रहे हैं। इससे पार्टी को डर है कि अगर उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को समर्थन करती है, तो बीजेपी इस मुद्दे को अयोध्या से जोड़ कर मुद्दा बना सकती है।
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राज्यसभा में पास नहीं हुआ, तो SC जा सकती है कांग्रेस
सोमवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही कांग्रेस राज्यसभा में इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस सोमवार को चीफ जस्टिस के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है। हालांकि इस बात की उम्मीद भी कम है कि सभापति इसे मंजूरी देते हैं या नहीं। बता दें कि राज्यसभा के सभापति के पास ये अधिकार होता है कि वो महाभियोग प्रस्ताव को मंजूर करें या फिर खारिज कर दें। अगर सभापति इसे नामंजूर करते हैं तो फिर कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।
BCI ने कांग्रेस सांसदों पर लगाया बैन
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने कांग्रेस के तीन सांसदों- कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तन्खा पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के समाने सुप्रीम कोर्ट में किसी भी केस की पैरवी करने पर रोक लगा दी है। हालांकि ये तीनों नेता किसी दूसरे जज के सामने पैरवी कर सकते हैं। BCI प्रेसिडेंट मनन मिश्रा ने बताया कि "हम सांसदों को कोर्ट पैक्टिस से नहीं रोक सकते, लेकिन अगर कोई सांसद जो वकील है और वो हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी जज के खिलाफ महाभियोग लाने की प्रक्रिया शुरू करता है, तो उसे उस जज के कोर्ट में पैरवी करनी की इजाजत नहीं दी जा सकती।" वहीं तीनों सांसदों ने इस फैसले का विरोध किया है और कहा है कि BCI किसी भी वकील को पैरवी करने से नहीं रोक सकता और न ही उसे ये अधिकार है।
क्या होता है महाभियोग ?
भारत के संविधान के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट या किसी हाईकोर्ट के जज को सिर्फ "महाभियोग" के जरिए ही हटाया जा सकता है। महाभियोग को "इंपीचमेंट" कहा जाता है, जिसका लैटिन भाषा में मतलब होता है "पकड़े जाना"। भारतीय संविधान में महाभियोग का उल्लेख आर्टिकल 124(4) में मिलता है। इसके तहत अगर किसी भी कोर्ट के जज पर कोई आरोप लगता है, तो उसे महाभियोग लाकर पद से हटाया जा सकता है। महाभियोग के जरिए किसी जज को पद से हटाने के लिए लोकसभा के 100 सांसद और राज्यसभा के 50 सांसदों की सहमति जरूरी होती है। इसके साथ ही महाभियोग के जरिए किसी जज को तभी पद से हटाया जा सकता है, जब ये प्रस्ताव संसद को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पास होता है। हालांकि अभी तक देश में किसी भी जज के खिलाफ महाभियोग नहीं चलाया गया है।
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किस-किसके खिलाफ आ चुका है महाभियोग?
- अभी तक कई जजों के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा चुका है, हालांकि आज तक एक भी जज को महाभियोग के जरिए हटाया नहीं गया है। दरअसल, अभी तक जिन जजों के खिलाफ महाभियोग लाया गया, उन्होंने उससे पहले ही इस्तीफा दे दिया। इनमें से कुछ महाभियोग संसद के दोनों सदनों में पास नहीं हो सके।
- भारत में सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस वी रामास्वामी के खिलाफ 1993 में लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। उनपर आरोप था कि उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज रहने के दौरान उन्होंने कई फालतू के खर्च किए। हालांकि ये प्रस्ताव लोकसभा में पास नहीं हो पाया था।
- 2009 में सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीडी दिनाकरण के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी की गई। लेकिन प्रस्ताव की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही जस्टिस पीडी दिनाकरण ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
- इसके बाद 2011 में कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। ये प्रस्ताव राज्यसभा में पास भी हो गया था, लेकिन लोकसभा में पेश होने से पहले ही जस्टिस सौमित्र सेन ने इस्तीफा दे दिया था।
- साल 2015 में गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस जेबी पार्दीवाला के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी हुई थी। उनपर एक फैसले के दौरान आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप था। हालांकि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस के कुछ ही समय बाद उन्होंने अपनी टिप्पणी वापस ले ली थी।
Created On :   2 April 2018 8:40 AM IST