ISRO को सफलता, दुनिया का सबसे हल्का सैटेलाइट कलामसैट कक्षा में स्थापित
- इन दोनों सैटेलाइट की लॉन्चिंग गुरुवार को रात 11:37 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से की गई है।
- ISRO ने गुरुवार को दुनिया के सबसे हल्के सैटेलाइट कलामसैट को सफलता पूर्वक लॉन्च किया।
- कलामसैट के साथ Microsat-R सैटेलाइट को भी कक्षा में स्थापित किया गया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को दुनिया के सबसे हल्के सैटेलाइट कलामसैट को सफलता पूर्वक लॉन्च किया। कलामसैट के साथ Microsat-R सैटेलाइट को भी कक्षा में स्थापित किया गया है। इन दोनों सैटेलाइट की लॉन्चिंग गुरुवार को रात 11:37 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से की गई है। पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C44) के जरिए इन्हें कक्षा में स्थापित किया गया है। PSLV-C44 की ये 46 वीं उड़ान थी।
Andhra Pradesh: #ISRO launches #PSLVC44 mission, carrying #Kalamsat and #MicrosatR from Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota. pic.twitter.com/yBI7xlKARK
— ANI (@ANI) January 24, 2019
कलामसैट को सफलता पूर्वक कक्षा में स्थापित करने के बाद ISRO चीफ डॉ. के सिवान ने कहा कि "ISRO भारत के सभी छात्रों के लिए खुला है। अपने उपग्रहों को हमारे पास लाओ और हम इसे आपके लिए लॉन्च करेंगे। आइए, हम भारत को एक विज्ञान-निष्पक्ष राष्ट्र बनाते हैं।" बता दें कि कलामसैट सैटेलाइट का नामकरण पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया है। सैटेलाइट कलामसैट को चेन्नई के छात्रों के समूह स्पेस किड्स ने एक हफ्ते से भी कम समय में तैयार किया है। करीब 1.26 किलो वजन का यह उपग्रह लकड़ी की कुर्सी से भी हल्का है। इस सैटेलाइट का उपयोग वायरलेस कम्युनिकेशन के लिए किया जाएगा। सैटेलाइट को बनाने में 12 लाख रुपए की लागत आई है। निजी संस्थान का यह पहला सैटेलाइट है जिसे ISRO ने मुफ्त में लॉन्च किया है।
कक्षा में स्थापित किया गया दूसरा सैटेलाइट माइक्रोसैट-आर एक डिफेंस सैटेलाइट है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के लिए तैयार किया गया है। इस सैटेलाइट का वजन करीब 740 किलोग्राम है। ये सैटेलाइट पृथ्वी की हाई-रिजोल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम है। PSLV के उड़ान भरने के लगभग 14 मिनट बाद इमेजिंग सैटेलाइट माइक्रोसैट-आर 277 किलोमीटर की ऊंचाई पर रॉकेट अलग हुआ। अलग होने के बाद इसने लगभग 103वें मिनट में 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचकर काम करना शुरू किया।
Created On :   25 Jan 2019 12:33 AM IST