जज का ट्रांसफर निर्भया के मुजरिमों की फांसी में रोड़ा नहीं : एसएन ढींगरा

Judge transfer did not prevent hanging of Nirbhayas convicts: SN Dhingra
जज का ट्रांसफर निर्भया के मुजरिमों की फांसी में रोड़ा नहीं : एसएन ढींगरा
जज का ट्रांसफर निर्भया के मुजरिमों की फांसी में रोड़ा नहीं : एसएन ढींगरा
हाईलाइट
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नई दिल्ली, 23 जनवरी (आईएएनएस)। मौत की सजा पाए मुजरिम को फांसी लगने से पहले डेथ-वारंट जारी करने वाले जज का ट्रांसफर हो जाने से फांसी नहीं रुका करती। अगर कोई और कानूनी पेंच या सरकार की तरफ से कोई बात कानूनी दस्तावेजों पर न आ जाए, तो निर्भया के मुजरिमों का यही डेथ-वारंट बदस्तूर बरकरार और मान्य होगा। डेथ वारंट जारी करने वाले जज का ट्रांसफर हो जाना फांसी पर लटकाये जाने में रोड़ा नहीं बन सकता।

रिटायर्ड जस्टिस शिव नारायण ढींगरा ने गुरुवार को आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान यह खुलासा किया। ढींगरा दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज और 1984 सिख विरोधी कत्ले-आम की जांच के लिए बनी एसआईटी में से एक के चेयरमैन रहे हैं। संसद पर हमले के आरोपी कश्मीरी आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी की सजा मुकर्रर करने वाले एस.एन. ढींगरा ही हैं।

13 दिसंबर सन 2001 को भारतीय संसद पर हुए हमले के मुख्य षडयंत्रकारी अफजल गुरु को सजा-ए-मौत सुनाने के वक्त ढींगरा दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सत्र न्यायाधीश थे। विशेष बातचीत के दौरान एस.एन. ढींगरा ने आईएएनएस से कहा, संसद हमले का केस जहां तक मुझे याद आ रहा है, जून महीने में अदालत में फाइल किया गया था। 18 दिसंबर सन 2002 को मैंने मुजरिम को सजा-ए-मौत सुनाई थी। उसके बाद मैं दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया। मेरे द्वारा सुनाई गई सजा-ए-मौत के खिलाफ अपीले हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तक जाती रहीं। मैं ट्रांसफर हो गया तब भी तो बाद में अफजल गुरु को फांसी दी गई।

निर्भया के हत्यारों का डेथ-वारंट जारी करने वाले पटियाला हाउस अदालत के जज को डेपूटेशन पर भेज दिए जाने से, डेथ-वारंट क्या बेकार समझा जाएगा? पूछे जाने पर उन्होंने कहा, नहीं यह सब बकवास है। कुछ मीडिया की भी अपनी कम-अक्ली का यह कथित कमाल है कि डेथ वारंट जारी करने वाले जज के अन्यत्र चले जाने से डैथ-वारंट की कीमत जीरो हो जाती है।

दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस ढींगरा के मुताबिक, डैथ वारंट नहीं। महत्वपूर्ण है ट्रायल कोर्ट की सजा। डैथ-वारंट एक अदद कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है। महत्वपूर्ण होता है कि सजा सुनाने वाली ट्रायल कोर्ट के संबंधित जज का ट्रांसफर बीच में न हो गया हो। ऐसी स्थिति में नये जज को फाइलों और केस को समझने में परेशानी सामने आ सकती है। हालांकि ऐसा अमूमन बहुत कम देखने को मिलता है। वैसे तो कहीं भी कभी भी कुछ भी असंभव नहीं है। जहां तक निर्भया के हत्यारों की मौत की सजा के डेथ-वारंट का सवाल है, डेथ वारंट जारी हो चुका है। उसकी वैल्यू उतनी ही रहेगी, जितनी डेथ वारंट जारी करने वाले जज के कुर्सी पर रहने से होती।

-- आईएएनएस

Created On :   23 Jan 2020 2:31 PM GMT

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