सिलेबस में शामिल करेंगे 1975 की इमरजेंसी ताकि आने वाली पीढ़ी इसे याद रखे : प्रकाश जावड़ेकर
- मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 1975 की इमरेजंसी को सिलेबस में शामिल करने की बात कही।
- अरुण जेटली ने इंदिरा सरकार की तुलना हिटलर से की।
- सोमवार (25 जून) को जब इस इमरजेंसी की 43 साल पूरे हुए तो बीजेपी ने देशभर में इस दिन को काले दिवस के रूप में मनाया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी को बीजेपी हमेशा से भुनाती रही है। सोमवार (25 जून) को जब इस इमरजेंसी की 43 साल पूरे हुए तो बीजेपी ने देशभर में इस दिन को काले दिवस के रूप में मनाया। बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने विभिन्न मंचो से आपातकाल के उन काले दिनों की याद दिलाई। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने जहां अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिए उन दिनों के इंदिरा सरकार की तुलना हिटलर से की, वहीं मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 1975 की इमरेजंसी को सिलेबस में शामिल करने की बात कही है।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है, "कई किताबों में 1975 की कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल का जिक्र है, लेकिन हम अब आपातकाल के उन काले दिनों और इससे लोकतंत्र को पहुंचे नुकसान को सिलेबस में शामिल करेंगे, ताकि भविष्य की पीढ़ियां इसके बारे में विस्तार से जान सके।"
There are chapters and references in our textbooks on emergency but we will also include in our syllabus how did the black phase of emergency affected the democracy. So that the future generations get to know about it: Human Resource Development Minister Prakash Javadekar #Delhi pic.twitter.com/PR3BOHFouI
— ANI (@ANI) June 25, 2018
इससे पहले जेटली ने अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिए उस समय की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने "दी इमरजेंसी रीविजिटेड" के तीन भाग की श्रृंखला के दूसरे भाग में लिखा कि इंदिरा गांधी ने धारा 352 के तहत आपातकाल लगाया और धरा 359 के तहत लोगों से मूलभूत अधिकार भी छीन लिए। 25 जून 1975 को जो कुछ भी हुआ वह 1933 में हुए नाज़ी जर्मनी से प्रेरित था। जेटली ने आगे लिखा कि ऐसी बहुत सी चीज़े है जो हिटलर ने नहीं की लेकिन इंदिरा गांधी ने की। उन्होंने संसदीय कार्यवाही कर मीडिया के प्रकाशन पर भी रोक लगा दी। 42वें संशोधन के जरिए उच्च न्यायालयों के रिट पेटीशन जारी करने के अधिकार को कमजोर कर दिया और अनुच्छेद 368 में भी बदलाव किया, ताकि संविधान में किए गए बदलाव की न्यायिक समीक्षा न की जा सके।
Created On :   25 Jun 2018 2:33 PM GMT