आप विधायकों पर राष्ट्रपति के फैसले को यशवंत सिंहा ने बताया 'तुगलकशाही'
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इलेक्शन कमिशन की उस सिफारिश को मंजूरी दे दी है जिसमें आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। राष्ट्रपति के मंजूरी देने के साथ ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिंहा ने "तुगलकशाही" बताया है। गौरतलब है कि मार्च 2015 में राष्ट्रपति के यहां पिटीशन दाखिल कर बताया गया था कि केजरीवाल की पार्टी के 21 विधायक संसदीय सचिव बनाए गए हैं। चुनाव आयोग ने 19 जनवरी को विधायकों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी दी थी, जिसे राष्ट्रपति ने 21 जनवरी को मंजूरी दे दी।
यशवंत सिंहा ने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रपति द्वारा आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। इस मामले में न कोई सुनवाई हुई न ही हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार किया गया। यह एक प्रकार से तुगलकशाही का सबसे बदतर आदेश है।
President"s order disqualifying the 20 AAP MLAs is complete miscarriage of natural justice. No hearing, no waiting for High Court"s order. It is Tughluqshahi of the worst order.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) January 21, 2018
पहले भी साध चुके हैं निशाना
गौरतलब है कि यशवंत सिंहा पहले भी मोदी सरकार की नीतियों को लेकर सरकार पर निशाना साध चुके हैं। नोटबंदी को लेकर भी यशवंत सिंहा ने मोदी को आड़े हाथों लिया था। यशवंत सिंहा ने पीएम मोदी की तुलना मोहम्मद बिन तुगलत से कर दी थी।
वहीं राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारी पार्टी के लोगों को खूब प्रताड़ित किया गया। विधायकों पर झूठे मुकदमें लिखाए गए। सीबीआई रेड डलवाई गई। अंत में हमारे 20 विधायक अयोग्य करार दे दिया गया। केजरीवाल ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि ऊपर वाले ने 67 सीट कुछ सोच कर ही दी थी। हर कदम पर ऊपर वाला आम आदमी पार्टी के साथ है, नहीं तो हमारी औकात ही क्या थी। बस सच्चाई का मार्ग मत छोड़ना।
ऊपर वाले ने 67 सीट कुछ सोच कर ही दी थी।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 21, 2018
हर क़दम पर ऊपर वाला आम आदमी पार्टी के साथ है, नहीं तो हमारी औक़ात ही क्या थी। बस सच्चाई का मार्ग मत छोड़ना।
क्या है मामला ?
आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया। कानून के मुताबिक, दिल्ली में कोई भी विधायक रहते हुए लाभ का पद नहीं ले सकता है। इसके बाद जरनैल सिंह के पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राजौरी गार्डन के विधायक के रूप में इस्तीफा देने के साथ उनके खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी गई थी। इस्तीफे के बाद इन विधायकों की संख्या 20 रह गई।
Created On :   22 Jan 2018 8:27 AM IST