अंडमान-निकोबार : पीएम ने बदले 3 द्वीपों के नाम, नेताजी बोस को दी श्रद्धांजलि
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को भारतीय महाद्वीप अंडमान एंड निकोबार के दौरे पर पहुंचे।
- पीएम ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद सरकार के गठन की घोषणा के 75वें साल पर पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहराया।
- पीएम मोदी ने अंडमान-निकोबार के 3 द्वीपों के नाम बदलने की घोषणा की है।
डिजिटल डेस्क, पोर्ट ब्लेयर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को भारतीय महाद्वीप अंडमान एंड निकोबार के दौरे पर पहुंचे। इस दौरान पीएम ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद सरकार के गठन की घोषणा के 75वें साल पर पोर्ट ब्लेयर में 150 मी ऊंचा तिरंगा फहराया। इसके साथ ही उन्होंने मरीना पार्क में नेताजी की मूर्ति पर फूल भी चढ़ाऐ। वहीं पोर्ट ब्लेयर में रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने अंडमान-निकोबार के 3 द्वीपों के नाम बदलने की घोषणा की है। पीएम ने कहा कि रॉस द्वीप को अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम से जाना जाएगा। वहीं नील द्वीप को शाहदीप द्वीप और हेवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने कार निकोबार के सुनामी मेमोरियल में ने 14 साल पहले सुनामी में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी। उन्होंने कार निकोबार में जनता को संबोधित किया और कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी। पीएम मोदी ने आरोंग में इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और एक आधुनिक खेल परिसर का उद्घाटन किया। उन्होंने ITI कौशल केंद्र का लोकार्पण भी किया और कहा कि ये द्वीप के युवाओं को सशक्त बनाने में मदद करेगा। इसके साथ ही उन्होंने पोर्ट ब्लेयर में सेलुलर जेल का दौरा भी किया।
अब से रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम से जाना जाएगा, नील द्वीप को शहीद द्वीप के नाम से जाना जाएगा और हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा: पीएम @narendramodi लाइव देखें https://t.co/U6cTmP9yGD पर। pic.twitter.com/xL3WUmg7VY
— BJP (@BJP4India) December 30, 2018
क्या कहा पीएम मोदी ने..
- जब आजादी के नायकों की बात आती है तो नेताजी का नाम हमें गौरव और नई ऊर्जा से भर देता है। आज़ाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री सुभाष बाबू ने अंडमान की इस धरती को भारत की आज़ादी की संकल्प भूमि बनाया था
- गुलामी के लंबे कालखंड में अगर भारत की एकता को लेकर कोई शक और संदेह पैदा हुआ है, तो वो सिर्फ मानसिकता का प्रश्न है, संस्कारों का नहीं।
- सुभाष बाबू का भी ये मानना था कि हम सभी प्राचीन काल से ही एक हैं, गुलामी के समय में इस एकता में छिन्न-भिन्न करने का प्रयास जरूर हुआ है।
- नेताजी का ये दृढ़ विश्वास था कि एकराष्ट्र के रूप में अपनी पहचान पर बल देकर मानसिकता को बदला जा सकता है। आज मुझे प्रसन्नता है कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत को लेकर नेताजी की भावनाओं को 130 करोड़ भारतवासी एक करने में जुटे हैं।
- यहां बिजली, पानी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अहम प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया है। अगले 20 साल के लिए पानी की समस्या ना हो इसके लिए धानीकारी बांध की ऊंचाई बढ़ाई जा रही है। बीते 6 महीने में ही यहां 7 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट्स को मंजूरी दी जा चुकी है।
- पूरे देश में विकास की पंचधारा है। कार निकोबार में बच्चों को पढ़ाई, युवा को कमाई, बुज़ुर्गों को दवाई, किसान को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई, ये सुनिश्चित करने के लिए सरकार निरंतर ईमानदार प्रयास कर रही है। आज जितनी योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है, ये सभी इसी सोच से जुड़ी हुई हैं।
- इतिहास समय से बंधा हुआ है, तो इतिहास नए संकल्प की ऊर्जा भी है। इतिहास हमें नई उम्मीदों, नए सपनों को देखने का हौसला देता है, तो इतिहास हमें भविष्य के लिए खुद को समर्पित करने का साहस भी देता है।
- केंद्र सरकार साढ़े 4 वर्षों से अपने वैभवशाली इतिहास के हर छोटे से छोटे हिस्से को उभारने का प्रयास कर रही है। उसे देशवासियों के सामने प्रेरणा के तौर पर रखने में जुटी है क्योंकि इतिहास, घटना है तो इतिहास गहना भी है। इतिहास, बीता हुआ कल है तो इतिहास आने वाले कल का एहसास भी है।
- सेलुलर जेल मेरे लिए किसी पूजा स्थल से कम नहीं है, जहां हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को कष्ट दिया गया था। सेलुलर जेल में वीर सावरकर के बारे में सभी घटनाओं को सुना और पढ़ा जाता है।
Created On :   30 Dec 2018 6:32 PM IST