नेपाल में सत्तारूढ़ दल आंतरिक संकट को हल करने में नाकाम
- नेपाल में सत्तारूढ़ दल आंतरिक संकट को हल करने में नाकाम
नई दिल्ली/काठमांडू, 16 जुलाई (आईएएनएस)। नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीन का हस्तक्षेप और प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की भारत के प्रति शत्रुता ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में शीर्ष नेतृत्व को एक-दूसरे के मुकाबले में ला खड़ा किया है। इनके बीच के मतभेदों को हल करने के लिए आठवीं बार की गई वार्ता भी गुरुवार को विफल रही।
नेपाली मीडिया ने बताया कि गुरुवार को प्रधानमंत्री के बलुवतार स्थित निवास पर हुई बैठक में एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं माधव कुमार नेपाल, पुष्प कमल दहल और प्रधानमंत्री ओली के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी।
नेपाल के आंतरिक मामलों में चीन के हस्तक्षेप के बारे में चिंताएं तब बढ़ गईं जब यह सार्वजनिक हो गया कि नेपाल में चीनी राजदूत होउ यानिकी ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल, माधव कुमार नेपाल, एनसीपी के एक अन्य नेता झाला नाथ खनाल और कई अन्य वरिष्ठ लोगों के साथ कई बैठकें की हैं।
इन बैठकों से यह अनुमान लगाए जाने शुरू हो गए कि चीन, नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी और उसकी आंतरिक राजनीति पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।
काठमांडू में समाचार पत्रों की रिपोर्ट में कहा गया है कि जून में दहल और नेपाल ने स्थायी समिति के सदस्यों के साथ ओली से प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष के दो पदों में से एक को छोड़ने के लिए कहा था। लेकिन, ओली ने सीधे इनकार कर दिया था।
काठमांडू में विश्लेषकों का मानना है कि इन मतभेदों और भारत के खिलाफ ओली की बेहद कड़वाहट ने एनसीपी को विभाजन की कगार पर ला दिया है।
ओली ने सोमवार को आपत्तिजनक बयान में कहा था कि हिंदू भगवान श्रीराम का जन्म नेपाल में हुआ था न कि भारत के नगर अयोध्या में। उन्होंने श्रीराम के अयोध्या मूल के होने को नकली भारतीय कथा कहा था। ओली की टिप्पणी की भारत में व्यापक स्तर पर निंदा की जा रही है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद करण सिंह ने एक बयान में कहा कि ओली भारत और नेपाल के बीच की दूरी को बढ़ाने के लिए अयोध्या और श्रीराम के बारे में बेतुके बयान की हद तक जाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका बयान भारतीय और नेपाली हिंदुओं व विश्व के समस्त हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाला है।
नेपाल में विपक्षी नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता बिश्वो प्रकाश शर्मा ने बुधवार को कहा कि ओली ने नैतिक और राजनीतिक आधार पर देश पर शासन करने का हक खो दिया है। नेपाली कांग्रेस के उपाध्यक्ष बिमलेंद्र निधि ने ओली की टिप्पणी को आधारहीन, अप्रासंगिक और आपत्तिजनक करार दिया।
ओली को अपनी ही पार्टी के नेताओं के कड़े विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। काठमांडू की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सत्तारूढ़ एनसीपी के वरिष्ठ नेता बाम देव गौतम ने ओली से अपनी विवादित टिप्पणी वापस लेने को कहा है।
सत्तारूढ़ दल के प्रचार समिति के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने ओली के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया में कहा, उच्च पद के व्यक्ति द्वारा की गई ऐसी संवेदनहीन और अप्रासंगिक टिप्पणी देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगी।
एनसीपी के सदस्य ओली का इस्तीफा उनकी निरंकुश शैली के कारण भी मांग रहे हैं।
Created On :   16 July 2020 7:31 PM IST