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सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस ने की पैरवी, वेश्यावृत्ति के लिए इश्यू करें लाइसेंस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में इन दिनों इनलीगल कामों को लीगल बनाए जाने की कोशिश की जा रही है। हाल ही में विधि आयोग ने जुए और खेलों में सट्टेबाजी को वैध करने की सिफारिश की थी। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एन संतोष हेगड़े ने भी वेश्यावृत्ति को कानूनी रूप देने के लिए पैरवी की। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि सरकार बुराइयों को खत्म नहीं कर सकती। वेश्यावृत्ति में शामिल लोगों को लाइसेंस दिया जाना चाहिए।
देश में खास तरह की बुराइयां हैं
रिटायर्ड जस्टिस एन संतोष हेगड़े ने आगे कहा कि, ‘‘यदि किसी इंसान को लगता है कि कानून बुराइयों को खत्म कर सकता है तो यह खुशफहमी में रहने जैसा है। यह एक बहुत अच्छी सिफारिश है। देश में कुछ खास तरह की बुराइयां हैं, जिन्हें कानून कंट्रोल नहीं कर सकता और इस तरह की बुराइयों को रोकने के लिए ऐसा किया जाना चाहिए। हेगड़े ने बिहार में शराबबंदी का उदाहरण उदाहरण देते कहा कि हम हम पहले भी यह अनुभव कर चुके हैं जब शराबबंदी थी।
वेश्यावृत्ति को कानूनी रूप दें
जहां शराबबंदी थी, वहां शराब का अवैध उत्पादन किया जाता था। सरकार को टैक्स का नुकसान होता था, लेकिन बुराई जारी रही। यदि आप इसे नियंत्रित नहीं कर सकते है तो कुछ खास चीजें हैं, जिन्हें कानून भी नियंत्रित नहीं कर सकता। वेश्यावृत्ति को कानूनी रूप दिया जाना चाहिए या नहीं इस सवाल के जवाब में हेगड़े का कहना था कि, इसे कानूनी रूप देना होगा। यह हर जगह हो रही है।
हर जगह हो रही वेश्वयावृत्ति
उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसे कानूनी रूप देती है तो इसे नियंत्रण में लाने के बाद 70 से 75 फीसदी होने वाली अवैध गतिविधियां बंद हो जाएंगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए एक खास मात्रा में नियंत्रण लगाने की बिल्कुल जरूरत है। उन्होंने पूछा, ‘ऐसा कौन सा शहर या राज्य है जहां वेश्वयावृत्ति नहीं है? हम अपनी आंखें बंद किए हुए है और कह रहे हैं कि यह नहीं है।’