सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को झटका, SC/ST एक्ट पर स्टे से किया इनकार
- इसके साथ ही ऐसे केसों में अग्रिम जमानत का प्रावधान कर दिया गया है।
- कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस को 7 दिन के अंदर अपनी जांच पूरी करनी होगी और फिर कोई एक्शन लेना होगा।
- वहीं अगर किसी गैर-सरकारी कर्मचारी के खिलाफ केस होता है तो उसके लिए SSP की तरफ से एप्रूवल लेना जरूरी है। सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए अपील कर सकता है।
- अगर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ इस एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की बेंंच ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए SC/ST एक्ट में हुए बदलावों पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार ने सोमवार को SC/ST एक्ट पर दिए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन फाइल की थी, जिसपर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में ओपन कोर्ट सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने कहा कि "हम इस एक्ट के खिलाफ नहीं है, लेकिन किसी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए।" इसके साथ ही बेंंच ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए SC/ST एक्ट में हुए बदलावों पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी पार्टियों से इस एक्ट पर उनकी राय 2 दिनों के अंदर मांगी है। अब इस मामले की सुनवाई 10 दिनों बाद की जाएगी। बता दें कि इसी बेंच ने एक पिटीशन पर सुनवाई के दौरान SC/ST एक्ट में बदलाव करने का फैसला दिया था। वहीं लोकसभा में इस दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बयान दिया। इस दौरान विपक्ष ने लगातार नारेबाजी किए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सोमवार को भारत बंद रखा गया था, जिसमें देशभर में 14 लोगों की मारे जाने की खबर है।
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?
केंद्र सरकार की रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को ओपन कोर्ट सुनवाई हुई। जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए साफ कहा कि कोर्ट इस एक्ट के खिलाफ नहीं है, लेकिन किसी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि "जो लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं, उन लोगों ने फैसले को ठीक तरीके से नहीं पढ़ा है।" कोर्ट ने ये भी कहा कि "हमें पता है कि लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा कैसे करनी है। आखिर क्यों सरकार किसी व्यक्ति को बिना जांच-पड़ताल के पकड़ना चाहती है।" इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि SC/ST एक्ट के तहत जो व्यक्ति शिकायत कर रहा है, उसे मुआवजा मिलना चाहिए।
केंद्र सरकार ने जल्दी सुनवाई की मांग की थी
केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि "अभी हालात काफी मुश्किल हैं। 10 लोग अभी तक मारे जा चुके हैं, हजारों-करोड़ों रुपए की संपत्ति को नुकसान हुआ है। इसलिए केंद्र सरकार की अपील है कि इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द होनी चाहिए।" अब इस मामले की सुनवाई 10 दिनों के बाद होगी। माना जा रहा है कि ये मामला चीफ जस्टिस की बेंच को ट्रांसफर किया जा सकता है।
राजनाथ सिंह ने लोकसभा में क्या कहा?
SC/ST एक्ट के मसले पर मंगलवार को लोकसभा में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि "देश के कई हिस्सों में हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुई हैं। जिनमें 8 लोगों की मौत हुई, इसमें मध्य प्रदेश में 6, उत्तर प्रदेश में 1 और राजस्थान में 1 की मौत हुई।" उन्होंने कहा "इस केस में भारत सरकार पार्टी नहीं थी। संविधान में SC/ST के लोगों को पूरी तरह से सुरक्षा दी गई है और सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। हमारी सरकार ने इस एक्ट में कोई भी बदलाव नहीं किया।" बता दें कि राजनाथ सिंह जब अपना बयान दे रहे थे, उस वक्त विपक्ष "हमें न्याय चाहिए" के नारे लगा रहा था।
रिव्यू पिटीशन पर सरकार ने क्या दिए तर्क?
- केंद्र सरकार की तरफ से रिव्यू पिटीशन फाइल करते हुए तर्क दिया कि ये फैसला शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब अत्याचार निवारण एक्ट-1989 को कमजोर करता है।
- सरकार ने कहा कि इस फैसले से देश के SC/ST वर्ग के लोगों पर गलत असर पड़ेगा। इससे गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचेगा।
- सरकार का कहना है कि ये फैसला सदन की तरफ से पास कानून में सुप्रीम कोर्ट का दखल है, जबकि कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर सकती है। SC/ST एक्ट को सदन में मंजूरी दी गई थी।
- इस एक्ट का सेक्शन-18 दलितों और आदिवासियों को संरक्षण देता है, लेकिन इसके प्रावधानों में बदलाव से इसका मैकेनिज्म बदल जाएगा।
- सरकार ने अपनी रिव्यू पिटीशन में कहा है कि SC/ST के लोगों के लिए कई प्रावधान तय होने के बाद भी इनके खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की घटनाएं थम नहीं रही हैं। इन लोगों को कई कारणों से मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इस एक्ट की जरूरत है।
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भारत बंद के दौरान 14 की मौत
सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट पर दिए फैसले के खिलाफ सोमवार को दलित संगठनों ने भारत बंद बुलाया था, जिससे 12 राज्यों में जमकर हिंसा और तोड़फोड़ हुई। इस दौरान देशभर में 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि मध्य प्रदेश में ही अकेले 7 लोग मारे गए। भारत बंद के दौरान 150 से ज्यादा लोगों के घायल हुए हैं, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इसके अलावा सोमवार को 100 से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ा है।
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SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया फैसला?
1. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने SC/ST एक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा कि इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में किसी आरोपी को तत्काल गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही ऐसे केसों में अग्रिम जमानत का प्रावधान कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस को 7 दिन के अंदर अपनी जांच पूरी करनी होगी और फिर कोई एक्शन लेना होगा।
2. अगर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ इस एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाता है, तो पहले DSP उसकी जांच करेंगे और फिर कोई एक्शन लेंगे। वहीं अगर किसी गैर-सरकारी कर्मचारी के खिलाफ केस होता है तो उसके लिए SSP की तरफ से एप्रूवल लेना जरूरी है। सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए अपील कर सकता है।
3. इस एक्ट के तहत जातिसूचक शब्दों को इस्तेमाल करने के आरोपी को जब मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए तो उस वक्त उन्हें आरोपी की कस्टडी बढ़ाने का फैसला करने से पहले, उसकी गिरफ्तारी के कारणों की समीक्षा करनी चाहिए। इसके साथ ही निश्चित अथॉरटी की मंजूरी मिलने के बाद ही किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है।
Created On :   3 April 2018 11:59 AM IST