SC/ST एक्ट के तहत नहीं हो सकेगी तत्काल गिरफ्तारी, अग्रिम जमानत भी मिलेगी

No immediate arrest under SC ST Act against public servants says Supreme Court
SC/ST एक्ट के तहत नहीं हो सकेगी तत्काल गिरफ्तारी, अग्रिम जमानत भी मिलेगी
SC/ST एक्ट के तहत नहीं हो सकेगी तत्काल गिरफ्तारी, अग्रिम जमानत भी मिलेगी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब अत्याचार निवारण एक्ट-1989 को लेकर अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने SC/ST एक्ट के तहत दर्ज किए गए केस में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इसके अलावा इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा है कि बेगुनाहों के सम्मान और उनके हितों की रक्षा करने के लिए जमानत का प्रावधान करना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए कुछ गाइडलाइंस भी तय की हैं, जिनको पालन करने का आदेश सभी मजिस्ट्रेट को दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दी है गाइडलाइंस?

- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने SC/ST एक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा कि इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में किसी आरोपी को तत्काल गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही ऐसे केसों में अग्रिम जमानत का प्रावधान कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस को 7 दिन के अंदर अपनी जांच पूरी करनी होगी और फिर कोई एक्शन लेना होगा। 

- बेंच ने कहा कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ इस एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाता है, तो पहले DSP उसकी जांच करेंगे और फिर कोई एक्शन लेंगे। वहीं अगर किसी गैर-सरकारी कर्मचारी के खिलाफ केस होता है तो उसके लिए SSP की तरफ से एप्रूवल लेना जरूरी है।

- कोर्ट ने SC/ST एक्ट के गलत इस्तेमाल होने की बात मानते हुए कहा कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ इस एक्ट के तहत केस होता है, तो वो अग्रिम जमानत के लिए अपील कर सकते हैं। 

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- बेंच ने कहा कि इस एक्ट के तहत जातिसूचक शब्दों को इस्तेमाल करने के आरोपी को जब मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए तो उस वक्त उन्हें आरोपी की कस्टडी बढ़ाने का फैसला करने से पहले, उसकी गिरफ्तारी के कारणों की समीक्षा करनी चाहिए।

- बेंच ने कहा कि इस एक्ट के गलत इस्तेमाल को देखते हुए ये जरूरी हो जाता है कि निश्चित अथॉरटी की मंजूरी मिलने के बाद ही किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी कानून का इस्तेमाल बेगुनाह लोगों को क्रिमिनल केसों में फंसाने के लिए किया जाता है, अदालत चुप नहीं बैठेगी। 

- कोर्ट ने सभी मजिस्ट्रेटों को निर्देश देते हुए इन गाइडलाइंस को लागू करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर इन गाइडलाइंस का उल्लंघन करने वाले अफसरों को विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही का भी सामना करना होगा।

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क्यों हुई इस पर सुनवाई?

दरअसल, पुणे के राजकीय फार्मेसी कॉलेजी के अफसर डॉ. सुभाष काशीनाथ महाजन पर कॉलेज के एक कर्मचारी ने SC/ST एक्ट के तहत केस किया था। जिसके बाद डॉ. सुभाष ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल की थी। कोर्ट ने इसी पिटीशन पर सुनवाई करते हुए ये बड़ा फैसला दिया है। इसके साथ ही डॉ. सुभाष को भी राहत मिल गई है।

Created On :   21 March 2018 2:12 AM GMT

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