गड़चिरोली के नक्सली इलाकों में जवानों की 'ज्ञानगंगा'

In the Naxal areas of Gadchiroli, the soldiers of Gyanganga
गड़चिरोली के नक्सली इलाकों में जवानों की 'ज्ञानगंगा'
गड़चिरोली के नक्सली इलाकों में जवानों की 'ज्ञानगंगा'

डिजिटल डेस्क,गड़चिरोली। नक्सली इलाकों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए पुलिस विभाग ने नया विकल्प निकाला है। पुलिस विभाग ने मोबाइल लाइब्रेरी बनाई है, जिससे नक्सली इलाकों मे रह रहे लोग शिक्षा प्राप्त कर सकें। पुलिस विभाग का कहना है कि विकास की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए शिक्षा ही एकमात्र विकल्प है।

दरअसल पंढेरी कैंप के उपविभागीय पुलिस अधिकारी गणेश इंगले के नेतृत्व में एक ऐसी लाइब्रेरी कारवाफा गांव में बनाई गई है। इसके माध्यम से क्षेत्र के नौनिहालों को विभिन्न क्षेत्र की शिक्षा दी जा रही है। इस सराहनीय कार्य की फिलहाल सभी स्तर से प्रशंसा की जा रही है। आदिवासी बहुल और अति नक्सल प्रभावित जिले के रूप में गड़चिरोली की पहचान बन चुकी है। आमतौर पर पुलिस जवानों को हाथों में बंदूक लिए नक्सलियों से निपटते देखा गया है, लेकिन अब ये जवान गांव के विकास के लिए जनजागरण सम्मेलनों और ग्रामभेंट का आयोजन कर लोगों को जागरुक करने का कार्य कर रहे हैं। 

कैसे की शुरूआत ?
ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी बढ़ने के चलते अभिभावक अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने से कतराते हैं। इस बात का संज्ञान लेकर पेंढरी के एसडीपीओ इंगले ने कारवाफा गांव में एक मोबाइल लाइब्रेरी की शुरुआत की है। इस लाइब्रेरी को ज्ञानगंगा नाम दिया गया है। यह लाइब्रेरी क्षेत्र के सभी गांवों में बाजार के दिन शुरू कर बच्चों में किताबों को पढ़ने के लिए रुची बढ़ा रही है। इन किताबों में देश की आजादी के लिए शहीद नेताओं, विज्ञान क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले वैज्ञानिकों समेत स्कूली शिक्षा संबंधित किताबों का समोवश है।

ज्ञानगंगा में कई किताबें मौजूद
ज्ञानगंगा वाचनालय की संकल्पना को साकार करने के लिए खुद एसडीपीओ गणेश इंगले ने अपने पास के 75 हजार रुपए खर्च कर विभिन्न प्रकार की किताबें खरीदी। इसके बाद लोगों ने सहयोग देना शुरू किया और आज यहां लाखों रुपए की अनेक किताबें उपलब्ध हैं। इसका लाभ लेकर बच्चों की प्रतिभा निखर रही है।

शिक्षकों का भी सहयोग
इस कार्य के लिए कारवाफा समेत क्षेत्र के शिक्षक भी जवानों को सहयोग कर रहे हैं। किताबों के साथ नन्हें बच्चों के लिए हर दिन अखबार भी मंगवाए जाते हैं। नक्सलियों से लोहा लेने के साथ-साथ जवान अब स्थानीय नागरिकों को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने का सराहनीय कार्य भी कर रहे हैं। ज्ञानगंगा ग्रंथालय इसी का एक उल्लेखनीय उदाहरण है।

समाजसेवियों का साथ
 एसडीपीओ इंगले ने बताया कि इस वाचनालय के प्रसार के लिए इंटरनेट के माध्यम से कार्य किया गया है। इस कारण पुणे, मुंबई और दिल्ली के कुछ समाजसेवकों ने किताबें उपलब्ध कराई हैं। गड़चिरोली के विख्यात समाजसेवी अभय बंग समेत कई लोगों ने इस अभियान में सहयोग दिया है। हमारा मानना है कि शिक्षा ही ऐसा एकमात्र साधन है जिससे क्षेत्र का विकास संभव होगा। ऐसे में सुदूर इलाकों के ग्रामीण अपने बच्चों को पढ़ाने के बजाए रोजी-रोटी के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए शुरू किए गए इस अभियान को काफी सफलता मिलती दिख रही है। 


 

Created On :   2 Aug 2017 6:58 AM GMT

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