कश्मीरी मान रहे, जरूर कुछ बड़ा होने वाला है

Kashmiri believes, something big is going to happen
कश्मीरी मान रहे, जरूर कुछ बड़ा होने वाला है
कश्मीरी मान रहे, जरूर कुछ बड़ा होने वाला है
हाईलाइट
  • यह किसी को नहीं पता कि अनुच्छेद-35ए को रद्द किया जाएगा
  • 15 अगस्त को घाटी में पंचायत स्तर से लेकर हर जगह तिरंगा फहराया जाएगा या भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा युद्ध होगा
  • कश्मीर के लोगों का मानना है कि कुछ बड़ा घटित होने वाला है
  • और इसलिए यहां के लगभग हर घर में जरूरत का सामान जुटा लिया गया है
श्रीनगर, 4 अगस्त (आईएएनएस)। कश्मीर के लोगों का मानना है कि कुछ बड़ा घटित होने वाला है, और इसलिए यहां के लगभग हर घर में जरूरत का सामान जुटा लिया गया है। यह किसी को नहीं पता कि अनुच्छेद-35ए को रद्द किया जाएगा, 15 अगस्त को घाटी में पंचायत स्तर से लेकर हर जगह तिरंगा फहराया जाएगा या भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा युद्ध होगा। कोई अनुमान नहीं लगा पा रहा कि वास्तव में क्या होगा? इन आशंकाओं का सीधा-सीधा जवाब शायद राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास भी नहीं है।

राज्यपाल मलिक शनिवार को संभवत: पहली बार सीधे तौर पर बोले, आज सब ठीक है मगर मैं कल की भविष्यवाणी नहीं कर सकता।

नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर दो दिन पहले केरन सेक्टर में सेना द्वारा पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) के सात आतंकवादियों को मार गिराया गया।

अफवाह फैलाने वाले चाहते हैं कि कश्मीर के निवासियों में यह विश्वास पैदा हो कि कूटनीतिक तौर पर मजबूत दो परमाणु संपन्न देशों के बीच युद्ध होने वाला है।

इस तरीके की बात भी कही जा रही है कि हाफिज सईद या अजहर मसूद के नेतृत्व में लगभग 40 हजार इस्लामिक लड़ाकों को गुरेज में नियंत्रण रेखा के पास देखा गया है, जो गिलगित-बाल्टिस्तान के करीब है। वे चुपके से इंतजार कर रहे हैं। यह बात अफवाह की तरह लग रही है, मगर जब यह किसी ऐसे व्यक्ति की ओर से कही जाती है जो अंदर की जानकारी तक पहुंचने का दावा करता है, तो कश्मीरियों के लिए डर के साथ कांपना भी स्वाभाविक है।

हर कोई इसे अफवाह बताते हुए यह सवाल करने से नहीं चूक रहा कि वह तथाकथित नेता इन 40 हजार लड़ाकों को घोड़ों पर सवार कराकर कैसे उस जगह तक ले आया। फिर तो यह कारगिल जीत की 20वीं वर्षगांठ मना रही सेना को चकित करने वाली बात हुई।

कोई भी इस बात पर ध्यान करने से नहीं चूका होगा कि गुरेज, गिलगित और बाल्टिस्तान एक दूसरे से इतनी दूर हैं कि घोड़े पर आने वाले किसी भी लड़ाकू को बेहद थकान के साथ पीठ में भी दर्द होगा।

मगर अंत में अफवाह को भड़काने के लिए एक तथ्य यह भी दिया गया कि यह मध्ययुग वाली दुनिया नहीं है कि लड़ाके घोड़े पर सवार होकर ही आएंगे।

इसी तरह की अफवाहों के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का अंदेशा जताया जा रहा है। मगर आम कश्मीरी न तो मूर्ख हैं और न ही इतने भोले कि ऐसी अफवाहों पर यकीन करेंगे।

ज्यादातर बुजुर्ग कश्मीरियों का कहना है कि वे नहीं मानते कि कोई ऐसा बड़ा ऐलान होने वाला है, जो भारत के साथ राज्य के संवैधानिक संबंध को ही बदल देगा।

यहां तक कि 1965, 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी गैर-स्थानीय लोगों और जम्मू क्षेत्र से संबंधित लोगों को घाटी छोड़ने के लिए नहीं कहा गया था।

रिपोर्ट बताती है कि घाटी में आवश्यक सेवाओं को बनाए रखने वाले कर्मचारियों को कर्फ्यू पास पहले ही जारी किए जा चुके हैं और सभी जरूरी स्थानों पर उनकी तैनाती दी गई है। चाहे राज्य में हो रही राजनैतिक व सैन्य हलचल हो या चहुंओर चल रहीं तरह-तरह की अफवाहें, मगर कश्मीरियों के मन में यह जरूर है कि कुछ तो बड़ा होने वाला है।

--आईएएनएस

Created On :   4 Aug 2019 9:30 PM IST

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