नल-जल योजना ठप ,गंदा पानी को मजबूर गांव !

Tap water planning stalled,Drinking dirty water forced the rural
नल-जल योजना ठप ,गंदा पानी को मजबूर गांव !
नल-जल योजना ठप ,गंदा पानी को मजबूर गांव !

डिजिटल डेस्क,कटनी। जिले में पिछले 6 महीने से ग्रामीण गंदा पानी पीने को मजबूर है। ग्रामीणों का आरोप है कि नल जल की 26 योजनाओं का पैसों का पंचायतों ने गबन कर लिया है। इससे बारिश में दूषित पानी पीना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि पंचायतों और जिला पंचायत के बीच ठीक समन्वय नहीं होने के कारण नल जल योजनाएं ठप हैं। इसी के चलते नल जल योजनाओं की प्रोग्रेस महज मॉनीटरिंग तक में ही सीमित रह गई हैं। आधा दर्जन से अधिक पंचायतें नल जल योजना के तहत मिले पैसे का खुद ही उपयोग कर रही हैं।

खोखले साबित हुए दावे
लंबे समय से बंद नल जल योजनाओं की अफसरों को याद सिर्फ मीटिंग के दौरान आ रही है। जिला पंचायत सीईओ फ्रेंक नोबल ए ने प्रभार ग्रहण करने के बाद बंद नल जल योजनाओं को गर्मी में ही चालू कराने के दावे किए गए थे, लेकिन 3 महीने बाद भी योजनाएं ठप हैं। हैरानी की बात तो यह है कि प्रभारी मंत्री, राज्य मंत्री की समीक्षा के दौरान बंद नल जल योजनाओं की डिटेल अफसरों ने तैयार की है, लेकिन मीटिंग के बाद हालात जस के तस बने हुए हैं। जिले के पठार क्षेत्रों में नल जल योजना के बंद होने से लोग बारिश का दूषित पानी पीने के लिए विवश हैं। 

पीएचई और पंचायत में टकराव
2 लाख से अधिक की योजनाओं के सुधार के लिए राशि पंचायत के खाते में भेजने का प्रशासन ने दावा किया है। वहीं पंचायतों का आरोप है कि 2 लाख से कम लागत की योजनाओं के सुधार में पीएचई ने दिलचस्पी नहीं ली है। उधर पीएचई ने पंचायतों पर सहयोग नहीं करने के आरोप लगाया है। 

बहोरीबंद, बड़वारा, ढीमरखेड़ा में लोग नल जल योजनाएं बंद होने से तालाब, नदी का दूषित पानी पी रहे हैं। इससे डायरिया समेत अन्य बीमारियां फैल रही हैं। बंद नल जल योजनाओं पर सीईओ फ्रेंक नोबल ए का पक्ष जानने के लिए जब भास्कर संवाददाता ने फोन किया तो उन्होंने कॉल रिसीव ही नहीं किया। अधिकारियों के लापरवाह रवैया से लगता है कि जिला पंचायत के अफसर कितनी बंद नल जल योजनाओं के सुधार के लिए राशि जारी की है, इसकी जानकारी सार्वजनिक करने से बच रहे हैं।

Created On :   31 July 2017 9:10 AM IST

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