संविधान में जम्मू और कश्मीर की सीमा दुबारा तय करने का है प्रावधान : विशेषज्ञ

There is a provision in the Constitution to re-fix the border of Jammu and Kashmir: Expert
संविधान में जम्मू और कश्मीर की सीमा दुबारा तय करने का है प्रावधान : विशेषज्ञ
संविधान में जम्मू और कश्मीर की सीमा दुबारा तय करने का है प्रावधान : विशेषज्ञ
हाईलाइट
  • विशेषज्ञों के मुताबिक
  • राज्य को तीन भागों में बांटने पर सरकार विचार कर रही है
  • जो इस मुद्दे से निपटने की वृहद योजना का हिस्सा है
  • सरकार द्वारा अमरनाथ यात्रा बीच में रोकने और यात्रियों को लौटने को कहने के बाद जम्मू और कश्मीर पर केंद्र के अगले कदम को लेकर अटकलें तेज है
नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। सरकार द्वारा अमरनाथ यात्रा बीच में रोकने और यात्रियों को लौटने को कहने के बाद जम्मू और कश्मीर पर केंद्र के अगले कदम को लेकर अटकलें तेज है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, राज्य को तीन भागों में बांटने पर सरकार विचार कर रही है, जो इस मुद्दे से निपटने की वृहद योजना का हिस्सा है। उनका कहना है कि संविधान में ऐसे प्रावधान हैं जिससे पाकिस्तान से लगते राज्यों की सीमारेखा में बदलाव किया जा सकता है।

नाम गोपनीय रखने की शर्त पर एक संविधान विशेषज्ञ ने बताया कि संविधान में अनुच्छेद 370 की वैधता के बावजूद राज्य को तीन भागों में बांटा जा सकता है। अनुच्छेद 35ए के विपरीत अनुच्छेद 370 संविधान का औपचारिक हिस्सा है। इस अनुच्छेद को अनुच्छेद 368(1) के माध्यम से संशोधित किया जा सकता है। अनुच्छेद 368 (1) के माध्यम से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए संविधान में संशोधन की मांग के लिए लोकसभा में प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। लोकसभा और राज्यसभा को इस संशोधन को पारित करना होगा, और उसके बाद देश के आधे राज्यों को भी इस फैसले पर सहमत होना होगा। यह एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन किया जा सकता है।

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, संसद के पास यह अधिकार होगा कि वह जम्मू और कश्मीर की सीमाओं को फिर से तय कर सके। अनुच्छेद 370 से जम्मू और कश्मीर को स्वायत्त राज्य का दर्जा मिलता है। लेकिन अनुच्छेद 368(1) से संसद अपने संसदीय शक्तियों का प्रयोग करते हुए इसमें अतिरिक्त संशोधन कर सकती है, या इस लेख में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार संविधान के किसी प्रावधान को निरस्त कर सकती है।

विशेषज्ञ के मुताबिक, अनुच्छेद 3 एक नए राज्य के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है या प्रभावित राज्य के विधायकों के साथ परामर्श करने के बाद राष्ट्रपति की सिफारिश पर संसद में एक विधेयक के माध्यम से सीमाओं का दुबारा निर्धारण किया जा सकता है। जम्मू और कश्मीर को स्वायत्त दर्जा होने के कारण यहां अनुच्छेद 3 का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। इस अनुच्छेद के प्रयोग से ही तेलगांना जैसे नए राज्यों का गठन किया गया है। इसलिए जम्मू और कश्मीर को तीन राज्यों में बांटने के लिए पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त करना होगा।

लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने पहले आईएएनएस को बताया था, संविधान में अनुच्छेद 370 को एक अस्थायी प्रावधान माना गया है, ना कि विशेष प्रावधान। संविधान में अस्थायी, परिवर्तनकारी और विशेष प्रावधान है। इसमें सबसे कमजोर प्रावधान अस्थायी प्रावधान है। सवाल यह है कि इसे कैसे खत्म किया जा सकता है और कब खत्म किया जाएगा।

भारतीय जनता पार्टी के नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है, अनुच्छेद 370 का उप खंड 3 राष्ट्रपति को यह अधिसूचित करने की अनुमति देता है कि अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया है। इसके बाद, अनुच्छेद 3 लागू हो सकता है। राष्ट्रपति विधानसभा की अनुपस्थिति में राज्यपाल से परामर्श कर सकते है।

--आईएएनएस

Created On :   3 Aug 2019 8:00 PM IST

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