कलकत्ता हाईकोर्ट का बंगाल सरकार से सवाल, क्या 'द बंगाल फाइल्स' की स्क्रीनिंग पर प्रशासनिक प्रतिबंध था?

कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि क्या कोलकाता के सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स में विवेक अग्निहोत्री निर्देशित फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई विशेष प्रशासनिक निर्देश हैं।

कोलकाता, 23 सितंबर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि क्या कोलकाता के सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स में विवेक अग्निहोत्री निर्देशित फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई विशेष प्रशासनिक निर्देश हैं।

न्यायमूर्ति सुजय पॉल और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 26 सितंबर तक अदालत में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी।

खंडपीठ ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार से यह स्पष्टीकरण मांगा। यह स्पष्टीकरण इस महीने की शुरुआत में दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर दिया गया था, जिसमें पश्चिम बंगाल के सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स में 'द बंगाल फाइल्स' के सुचारू और शांतिपूर्ण प्रदर्शन को सुनिश्चित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई थी।

वर्तमान में, पश्चिम बंगाल में 'द बंगाल फाइल्स' के प्रदर्शन पर अनौपचारिक प्रतिबंध लगा हुआ है, जहां सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स मालिकों ने कथित तौर पर एक विशेष राजनीतिक दबाव समूह के दबाव के बाद फिल्म के लिए स्लॉट देने से इनकार कर दिया है।

मंगलवार को, न्यायमूर्ति पॉल ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि क्या यह सच है कि 'द बंगाल फाइल्स' कोलकाता के एक भी सिनेमा हॉल में प्रदर्शित नहीं हुई।

इस महीने की शुरुआत में, कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने 'द बंगाल फाइल्स' के प्रदर्शन के खिलाफ दायर एक याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि संबंधित याचिकाकर्ता अपनी याचिका के पीछे के दावों को पुष्ट जानकारी और सहायक दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत नहीं कर सका।

यह याचिका स्वतंत्रता सेनानी गोपाल मुखर्जी उर्फ ​​गोपाल पाठा के पोते शांतनु मुखर्जी ने दायर की थी, जिन्हें फिल्म में चित्रित किया गया था।

न्यायमूर्ति सिन्हा ने यह भी कहा कि ऐसी याचिकाएं उनके न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आतीं और याचिकाकर्ता को इस मामले में उचित मंच पर जाना चाहिए।

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Created On :   23 Sept 2025 10:25 PM IST

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