'सबका साथ, सबका विकास' का असली चेहरा आया सामने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया

बेंगलुरु, 29 सितंबर (आईएएनएस)। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कर्नाटक सरकार द्वारा शुरू किए गए सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही हमारा यह सर्वेक्षण शुरू हुआ, वैसे ही जो नेता 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे लगाते हैं, उनका असली रंग जनता के सामने आ गया है।
सिद्दारमैया ने कहा कि भाजपा के कई नेता खुलकर इस सर्वेक्षण का बहिष्कार करने की बात कह रहे हैं, जिससे उनकी असलियत सबके सामने आ गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सर्वेक्षण किसी एक जाति या धर्म तक सीमित नहीं है। यह पूरे कर्नाटक के सात करोड़ लोगों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का व्यापक सर्वेक्षण है।
मुख्यमंत्री ने कहा, "यह सर्वेक्षण किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी के लिए है। इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक समानता स्थापित करना और सभी को उचित हिस्सा और अवसर देना है।"
उन्होंने कहा, "मनुवाद की सोच यही है कि संपत्ति, अवसर और प्रतिनिधित्व कुछ खास हाथों में ही रहे। गरीब गरीब ही रहें, पिछड़े पिछड़े ही रहें, महिलाएं अवसरों से वंचित रहें और जातियों और समुदायों के बीच असमानता बनी रहे। दुर्भाग्य से, यही सोच भाजपा नेताओं के अंदर पनपी हुई है।"
सिद्दारमैया ने आगे कहा कि इस सर्वेक्षण के माध्यम से सरकार दलितों, पिछड़ी जातियों, अल्पसंख्यक समुदायों के साथ-साथ अग्रिम जातियों के गरीब और वंचित वर्ग की स्थिति भी समझ पाएगी। परन्तु भाजपा इसे स्वीकार नहीं करना चाहती।
मुख्यमंत्री ने बिहार और तेलंगाना के उदाहरण भी दिए, जहां भाजपा की साझेदार सरकारों ने भी जाति आधारित सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण किए हैं।
मुख्यमंत्री ने कर्नाटक की भाजपा नेताओं से सवाल किया कि यदि वे अपने राज्य में सर्वेक्षण का विरोध करते हैं, तो क्या वे अपनी ही केंद्र सरकार की जाति जनगणना का भी विरोध करते हैं?
मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की कि वे भाजपा नेताओं के राजनीतिक और भ्रमित करने वाले बयानों से प्रभावित न हों। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे इस सर्वेक्षण में पूरी भागीदारी करें और पूरा सहयोग दें।
Created On :   29 Sept 2025 10:08 PM IST