तालिबानी विदेश मंत्री के भारत दौरे की क्यों हो रही चर्चा? डिफेंस एक्सपर्ट ने बताया

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्ताकी भारत का दौरा करने वाले हैं। बता दें कि 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था। उसके बाद से पहली बार कोई तालिबानी नेता यहां आ रहे हैं। इसे लेकर रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) हेमंत महाजन ने बताया कि इसका महत्व क्या है?
हेमंत महाजन ने आईएएनएस से कहा, "संयुक्त राष्ट्र ने काफी दबाव डाला है कि उनकी (मुत्ताकी की) विदेश यात्राओं पर पाबंदी है। उन्हें यात्रा करने की अनुमति नहीं है। वे चाहते हैं कि तालिबान कम कट्टर बने और वहां मानवाधिकारों की अच्छी देखभाल हो। यह बात अपने आप में महत्वपूर्ण है कि मानवाधिकारों का पालन होना चाहिए। हमारे भी राष्ट्रीय हित इसमें सम्मिलित हैं। अभी जो हो रहा है वह यह है कि हमारे अफगानिस्तान के साथ रिश्ते सुधर रहे हैं। जब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आया था तब पाकिस्तान बहुत खुश था, वह सोच रहा था कि तालिबान के आने के बाद उनकी जो रणनीतिक गहराई है, वह बढ़ेगी।"
उन्होंने कहा कि अगर एक युद्ध होता है, जैसा 1971 में हुआ था, भारतीय सेना पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट सकती है; पूरा पाकिस्तान का इलाका हमारे मिसाइलों और भारतीय वायुसेना की पहुंच (रेंज) में आ सकता है, जिससे पाकिस्तान की वायुसेना को बहुत नुकसान हो सकता है। इसलिए पाकिस्तान हमेशा चाहता है कि जो अफगानिस्तान में एयरफील्ड्स हैं, काबुल में, बघारा में है, वहां पर पाकिस्तानी फोर्स को लैंड करने के लिए परमिशन मिलनी चाहिए, ताकि वह इंडियन एयरफोर्स के हमले से सुरक्षित रहे, लेकिन अभी तालिबान उसके लिए तैयार नहीं है। तहरीक-ए-तालिबान नाम का एक ग्रुप है, जो चाहता है कि पाकिस्तान का एक राज्य, जिसे खैबर-पख्तूनवा बोला जाता है, वह अफगानिस्तान में शामिल हो जाए। वहां पर यह ग्रुप पाकिस्तानी सेना के ऊपर हमले करता है।
बता दें कि हाल ही में पीओके में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लोगों का गुस्सा देखने को मिला। लोग पाकिस्तानी सेना के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर आए। इसे लेकर हेमंत महाजन ने कहा कि पीओके के अंदर हिंसा बढ़ी है और अवामी एक्शन इसकी अगुवाई कर रही है। उनकी 36 मांगें हैं, जिनमें से चार बड़ी हैं। पहली मांग यह है कि पीओके की विधानसभा में जो सीटें दी गई हैं, जो रिफ्यूजी भारत से पीओके में गए हैं, वह कम होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, "दूसरी मांग यह है कि पीओके की सीट्स पर अधिक नियंत्रण पाकिस्तान की सेंट्रल गवर्नमेंट का होता है। पाकिस्तान की सेंट्रल गवर्नमेंट रिफ्यूजी के माध्यम से पीओके के अंदर शासन करना चाहती है। तीसरी मांग यह है कि वहां के प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उन्हें नहीं मिलता, बल्कि वह पाकिस्तान पंजाब ले जाता है। चौथी बड़ी मांग यह है कि वे विकास चाहते हैं। वे देख रहे हैं कि भारत के कश्मीर में बहुत अच्छा विकास हुआ है। विकास इतना अधिक है कि आज भारतीय कश्मीर की आबादी लगभग दो करोड़ के आसपास है और वहां ढाई करोड़ से ज्यादा पर्यटक आए हैं। पीओके में ना तो कोई पर्यटक आता है, ना कोई विकास होता है, ना कोई रेलवे लाइन है, ना कोई रास्ते हैं। यानी पीओके एक स्टोन एज वाला देश है। वे चाहते हैं कि भारत के कश्मीर की तरह ही वहां भी विकास हो।"
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Created On :   3 Oct 2025 6:08 PM IST