उत्तरकाशी तांबाखानी सुरंग मार्ग पर डंप हो रहा शहर का कचरा, स्थानीय लोग नाराज

उत्तरकाशी, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तरकाशी नगर की स्वच्छता व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए अब एक बड़ा मामला सामने आया है। तांबाखानी सुरंग के बाहर से गुजरने वाला पुराना वैकल्पिक बाजार मार्ग, जो कभी यात्रियों और स्थानीय लोगों की आवाजाही का प्रमुख रास्ता था, अब नगर का मुख्य कूड़ा डंपिंग जोन बन चुका है। नगर पालिका प्रतिदिन इसी मार्ग पर शहर का ठोस और गीला कचरा डाल रही है।
वास्तविकता यह है कि जिस मार्ग के अगल-बगल से रोजाना स्कूली बच्चे, तीर्थयात्री और स्थानीय नागरिक गुजरते हैं, उसी मार्ग पर अब प्लास्टिक, सड़ा-गला जैविक कचरा, और निर्माण मलबा फैला पड़ा है। सड़क किनारे कूड़े के ढेर और दूषित पानी सीधे मां भागीरथी गंगा में मिल रहा है। बरसात के दिनों में यह प्रवाह और बढ़ जाता है, जिससे गंगा का जल प्रदूषित हो चुका है और आसपास के क्षेत्रों में दुर्गंध फैल रही है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि यह स्थिति पिछले कई सालों से बनी हुई है। नगर पालिका के वाहन रोजाना आकर कचरा यहां खाली करते हैं। न तो ढकने की व्यवस्था है, न ही निस्तारण की कोई वैज्ञानिक प्रक्रिया है। परिणामस्वरूप यहां मच्छरों, मक्खियों और जहरीली दुर्गंध का प्रकोप बढ़ चुका है।
वरिष्ठ समाजसेवी दिनेश पंवार ने इस स्थिति को लेकर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि नगर पालिका ने गंगा तट के सबसे संवेदनशील इलाके तांबाखानी सुरंग के बाहर के मार्ग को ही कूड़ा घर बना दिया है। यहां से रिसने वाला गंदा पानी सीधे मां भागीरथी में मिल रहा है। यह पर्यावरण और आस्था दोनों के साथ विश्वासघात है।
विश्व हिंदू परिषद के जिला महामंत्री कीर्ति सिंह महर ने इसे 'मां गंगा की पवित्रता पर हमला' बताया। उन्होंने कहा कि गंगा हमारी आस्था की जननी हैं, लेकिन उत्तरकाशी में गंगा को ही नगर का कचरा बहाने का माध्यम बना दिया गया है। नगर पालिका और ठेकेदारों ने शहर की पहचान पर दाग लगा दिया है। अगर तुरंत यह डंपिंग बंद नहीं हुई तो विश्व हिंदू परिषद सड़कों पर उतरेगा।
कचरा निस्तारण के लिए नगर पालिका ने एम.एस.टी. कंपनी और जीरो वेस्ट कंपनी को करोड़ों रुपए के अनुबंध दिए हैं, लेकिन न कोई स्थायी डंपिंग स्थल बना है, न ही कोई वैज्ञानिक निस्तारण व्यवस्था लागू हुई।
नगर पालिका अध्यक्ष का कहना है कि नगर के लिए नया ठोस अपशिष्ट प्रबंधन स्थल तिलोथ क्षेत्र में चिन्हित किया गया है, जहां कार्य प्रगति पर है और लगभग छह माह में तैयार हो जाएगा। भविष्य में नगर का सारा कचरा वहीं निस्तारित किया जाएगा।
हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि तिलोथ में काम 'कछुआ चाल' से चल रहा है और नगर पालिका फिलहाल ट्रांसपोर्ट का खर्च बचाने के लिए तांबाखानी के बाहर ही कचरा डाल रही है। लोगों का आरोप है कि नगर पालिका को यहां सुविधा मिली हुई है न वाहन का खर्च, न ईंधन की लागत इसलिए वह इस स्थान से कचरा हटाने में रुचि नहीं ले रही।
जोशियाड़ा और ज्ञानसू के स्थानीय निवासियों ने कहा कि अब यह केवल प्रदूषण नहीं, बल्कि एक 'सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति' बन चुका है। मां भागीरथी गंगा के तट पर बसा यह नगर, जो चारधाम यात्रा की धार्मिक धुरी माना जाता है, आज प्रशासनिक लापरवाही के कारण कचरे के ढेर में तब्दील हो चुका है।
मां गंगा अब नगर की गंदगी और कचरे का भार उठा रही हैं, जो गंगोत्री से निकलकर उत्तरकाशी की गोद से बहती हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो वे स्वयं सफाई अभियान और विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।
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Created On :   5 Oct 2025 9:43 PM IST